जुबिली स्पेशल डेस्क
भोपाल। भले ही पीएम मोदी की सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की बात करती हो लेकिन अब मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की सरकार में पोषण आहार योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है।
ये घोटाला बिहार के चारा घोटाले की तरह है। वही मध्य प्रदेश की स्थानीय मीडिया की माने तो शिवराज की सरकार में जो घोटाला हुआ उसमें इस पूरी योजना का लाभ लेने वालों की पहचान, उत्पादन, अनाज बांटने और क्वालिटी कंट्रोल में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है।
देश के नामी-गिरामी न्यूज चैनल ने इस खबर को ब्रेक किया है। दरअसल एनडीटीवी के पास अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट को देखने से पता लगा है कि लाभार्थियों की पहचान में अनियमितता, स्कूली बच्चों के लिए महत्वाकांक्षी मुफ्त भोजन योजना के वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण में बड़ी हेराफेरी की गई है।
रिपोर्ट बताती है कि जिन लोगों को पोषण आहार दिया जाना था। उनके लिए करोजों का हजारों किलो वजनी पोषण आहार कागजों में ट्रक से आया लेकिन जांच में पाया गया कि जिन ट्रकों के नंबर बताए गए थे वो दरअसल मोटरसाइकिल, ऑटो, कार, टैंकर के थे।
यहीं नहीं लाखों ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते उनके नाम पर भी करोडो का राशन बांट दिया गया। दूसरी ओर ये मंत्रालय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है।
रिपोर्ट के अनुसार स्कूल नहीं जाने वाली छात्राओं की संख्या का बिना बेसलाइन सर्वे कर ही राशन बांट दिया। और स्कूल शिक्षा विभाग के 9 हजार बच्चों की संख्या को ना मानते हुए बिना सर्वे के 36 लाख से ज्यादा संख्या मान ली। 2018- 21 के बीच करीब 48 आंगनवाड़ियों में रजिस्टर बच्चों की संख्या से ज्यादा को 110 करोड़ का राशन कागजों पर बांटा गया हैं।
बता दें कि रिपोर्ट में टेक होम राशन उत्पादन, परिवहन, वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण में बड़े पैमाने पर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट के अनुसार सीडीपीओ, डीपीओ, प्लांट अधिकारी और परिवहन की व्यवस्था करने वाले अधिकारी किसी ना किसी रूप में इस घोटाले में शामिल थे।