जुबिली न्यूज डेस्क
देश के जरूरतमंद नागरिकों को इलाज की सहूलियत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना में बड़ा गड़बड़ सामने आया है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. कैग ने इस योजना को लेकर जारी की अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है इस योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत दिखाया गया था. यहीं नहीं AB-PMJY Scheme के 9 लाख से ज्यादा लाभार्थी तो सिर्फ एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए पाए गए हैं.
कैग की रिपोर्ट आने के बाद प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड योजना में इस बड़े फर्जीवाड़े पर्दाफाश हुआ है. इस रिपोर्ट के अनुसार 100 बेड की क्षमताओं वाले निजी अस्पतालों ने 230 मरीजों एडमिट करने को दर्शाया है.
6.97 करोड़ का किया गया भुगतान
ऑडिट में सबसे बड़ी खामी ये उजागर हुई है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं जिन रोगियों को पहले ‘मर गया’ दिखाया गया था. लेकिन मरने के बाद भी वे इलाज कराते रहे. TMS में मृत्यु के मामलों के डेटा को एनालाइज करने से पता चला कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार के दौरान 88,760 रोगियों की मृत्यु हो गई. इन रोगियों के संबंध में नए इलाज से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप में दिखाया गया है. ऑडिट रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उपरोक्त दावों में शामिल करीब 3,903 मामलों क्लेम की राशि का भुगतान अस्पतालों को किया गया. इनमें 3,446 मरीजों से संबंधित पेमेंट 6.97 करोड़ रुपये का था.
इन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा धांधली
मरे हुए व्यक्तियों के इलाज का क्लेम करने के सबसे ज्यादा मामले देश के पांच राज्यों में देखने को मिले हैं. इनमें छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश शामिल हैं. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के दावों का सफल भुगतान राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों की ओर से अपेक्षित जांचों को सत्यापित किए बिना किया जाना बड़ी चूक की तरफ इशारा करता है. ऑडिट में डेटा एनालाइज करते हुए ये भी पता चला कि इस योजना के एक ही लाभार्थी को एक ही समय में कई अस्पतालों में भर्ती किया गया. जुलाई 2020 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने भी इस मुद्दे को उजागर किया था.
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मध्य प्रदेश सबसे आगे
कैग की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में करीब 25 अस्पताल ऐसे हैं, जिन्होंने क्षमता से अधिक बेड ऑक्यूपेंसी दिखाई. यानी कि इन अस्पतालों ने ज्यादा मरीजों की भर्ती दिखा कर क्लेम लिया गया. जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र में 20 मार्च 2023 तक 100 बेड थे, लेकिन इसमें 233 मरीजों को दिखाया गया कैग की रिपोर्ट में सरकारी अस्पताल समेत कुल 24 अस्पतालों के नाम शामिल. कैग की रिपोर्ट में कहा गया डिफाल्टिंग अस्पतालों से होने वाली रिकवरी के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े सबसे खराब हैं. मध्य प्रदेश में फर्जीवाड़ा करने वाले में 96 फीसदी तक की रिकवरी अब तक नहीं हो पाई. प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के सबसे ज्यादा आयुष्मान कार्ड धारक मध्य प्रदेश में ही हैं. यहीं पर सबसे ज्यादा लापरवाही देखी जा रही है.
एक नंबर पर कई लाभार्थी रजिस्टर्ड
आयुष्मान भारत योजना को लेकर CAG की ऑडिट रिपोर्ट में जो दूसरा बड़ा खुलासा किया गया है, वो हैरान कर देने वाला है. महालेखा परीक्षक ने बताया है कि इस योजना के तहत लाभ लेने वाले लाखों लाभार्थी ऐसे हैं, जो एक मोबाइल नंबर पर रजिस्टर्ड हैं. गौरतलब है कि इस सरकारी स्कीम के तहत लाभ पाने के लिए मोबाइल नंबर का रजिस्ट्रेशन सबसे जरूरी होता है. लाभार्थी द्वारा रजिस्टर कराए गए मोबाइल नंबर के जरिए ही उसका रिकॉर्ड तलाशा जाता है.
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दरअसल, इस स्कीम में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन डेस्क से कॉन्टैक्ट किया जा सकता है और ऐसा करने के लिए ई-कार्ड की जरूरत भी नहीं होती. कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि BIS डेटाबेस के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला एक ही मोबाइल नंबर पर कई लाभार्थियों का रजिस्ट्रेशन किया गया है.
तीन नंबर पर लगभग 9.85 लाख लोग रजिस्टर्ड हैं. मोबाइल नंबर 9999999999 पर 7.49 लाख लोग PMJAY योजना के तहत लाभार्थियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं. कैग की ओर से जांच में ये भी सामने आया है कि इस धांधली के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले अन्य नंबरों में 8888888888, 9000000000, 20, 1435 और 185397 शामिल हैं.
कुल 24.33 करोड़ कार्ड बनाए गए
बता दे कि अब तक यानी 1 अगस्त, 2023 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत कुल 24.33 करोड़ कार्ड बनाए गए हैं. आयुष्मान भारत सरकार की एक हेल्थ स्कीम है. इसकी शुरुआत 1 अप्रैल 2018 को की गई थी. इसके तहत सरकार आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड लोगों को प्रदान करती है. इस स्कीम के तहत आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर नागरिक अस्पतालों में जाकर मुफ्त में अपना इलाज करवा सकते हैं.