प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. नागरिक सुरक्षा विभाग वाराणसी में रीन्यूवल के नाम पर चल रहा अवैध धन वसूली का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. विभाग के कर्मचारी वसूली का यह पूरा कारोबार प्रमुख सचिव के नाम पर कर रहे हैं. यह सनसनीखेज आरोप विभाग के डिवीजनल वार्डेन आर.पी.कुशवाहा ने लगाये हैं.
वाराणसी में नागरिक सुरक्षा विभाग के डिवीजनल वार्डेन आर.पी.कुशवाहा का कार्यकाल दिसम्बर 2019 में खत्म हो गया था. इनके रीन्यूवल के कागज़ात तैयार भी हो गए लेकिन इन्होंने 50 हज़ार रुपये की रिश्वत देने से इनकार कर दिया तो इनका रीन्यूवल नहीं किया गया.
नागरिक सुरक्षा के चीफ वार्डेन का कार्यकाल भी दिसम्बर 2019 में खत्म हो चुका है, इसके बावजूद वह लगातार काम कर रहे हैं. नियुक्तियां क्योंकि बगैर पैसे के होती नहीं इस वजह से कोई नया व्यक्ति आना नहीं चाहता. पुराने पदाधिकारियों की बात करें तो अब सिर्फ बीस फीसदी लोग बचे हैं. 80 फीसदी लोग कम हो गए हैं इसके बावजूद विभागीय लोग बगैर सुविधा शुल्क लिए रीन्यूवल नहीं करते हैं.
नागरिक सुरक्षा विभाग में चल रही इस घूसखोरी का खुलासा जुबिली पोस्ट ने मई 2020 में किया था. वाराणसी के ही डिवीजनल वार्डेन राम आसरे कुशवाहा से भी रीन्यूवल के नाम पर 50 हज़ार रुपये मांगे गए थे. कुशवाहा से भी 50 हज़ार रुपये की रिश्वत माँगी गई थी. उनसे भी कहा गया था यह धनराशि प्रमुख सचिव राजन शुक्ला को भेजी जानी है.
राम आसरे कुशवाहा ने इस घूसखोरी की शिकायत मुख्यमंत्री के अलावा प्रमुख सचिव राजन शुक्ला को भी लिखित रूप में की थी लेकिन वसूली करने वाला रैकेट पहले की तरह से काम कर रहा है.
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आर.पी. कुशवाहा ने बताया कि हमारा कोई पैरोकार नहीं है और रिश्वत देने के लिए हम तैयार नहीं हैं इसलिए हमारा रीन्यूवल नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संगठन की छवि पूरी तरह से बिगड़ चुकी है. समाज के हित के लिए लोग नागरिक सुरक्षा में आते हैं लेकिन उनसे भी वसूली में विभाग पीछे नहीं रहता है.