जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कानपुर का चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) इन दिनों सुर्खियों में है। दरअसल यहां पर विश्वविद्यालय संचालकों ने मनमानी करने की सभी हदों को पार कर दिया है।
आरोप लगा है कि भारती प्रक्रिया में सरकारी मापदंडों की धज्जियां उड़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। ताजा मामला है यहां पर एसोसियट प्रोफेसर की भर्ती का जहां पर भर्ती के नाम पर ही बड़ा खेल करने की तैयारी है। सीएसए से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि कई वैज्ञानिकों को एसोसियट प्रोफेसर के तौर पर बहाल करने की तैयारी चल रही है।
एक शिकायती पत्र में कहा गया है कि नियमों के खिलाफ जाकर केवीके के कई वैज्ञानिकों को एसोसियट प्रोफेसर के इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर जारी किया गया है।
इससे तो एक बात तो साफ होती है कि खुलेआम सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ायी जा रही है और आवेदकों की बगैर स्क्रीनिंग किए गए गड़बड़ी की गई है। ये भी बड़ा सवाल है कि आखिर कैसे इन वैज्ञानिकों को एसोसिएट प्रोफेसर के लिए कॉल लेटर कैसे जारी हुआ है।
इस पूरे मामले पर जांच की मांग अब उठने लगी है। जिन वैज्ञानिकों को एसोसिएट प्रोफेसर के लिए कॉल लेटर दिया गया वो सभी एनजीओ , केवीके में काम करते हैं और इसी अनुभव के सहारे उनको एसोसिएट प्रोफेसर बनाने की तैयारी चल रही है जबकि सरकारी नोटिफिकेशन के अनुसार यह नही किया जा सकता ।
सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में साक्ष्य सहित शिकायतों की फाइल शासन में सचिव स्तर तक पहुंच चुकी है मगर एक ताकतवर लाबी इसे दबाए हुए है क्योंकि यदि फाइल उच्च स्तर तक पहुंच गई तो इस प्रक्रिया का निरस्त होना तय है।
कई लोग इस भर्ती के खिलाफ और फिर से उस विज्ञापन की स्क्रीनिंग कराने की मांग कर रहे हैं जिससे फौरन इस भर्ती पर रोक लग सके।
ये पहला मौका नहीं है कि कानपुर का चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) इस तरह के मामले सामने आए है। इससे पहले सीएसए में मृतक आश्रितों की नियुक्ति, वेतन विसंगतियों और बिना मानकों के प्रमोशन का मामला सामने आया है।
जिस पर एक जांच रिपोर्ट मंडलायुक्त से मांगी गई थी। शासन को शिकायत की गयी थी कि 1981 में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मृत घोषित संवर्ग की नियमावली का उल्लंघन किया गया है। बिना किसी नियम परिनियम के अवैध रूप से 150 से अधिक व्यक्तियों को शोध सहायकों के पद पर भर्ती किया गया। बाद में उनको एसोसिएट प्रोफेसर तक का स्केल का भुगतान किया जा रहा है।
इसी तरह दो दर्जन से अधिक वैज्ञानिकों एवं अन्य कर्मियों को शासन से गैर शैक्षणिक पदों में अनुमति लेकर भर्ती किया गया। बाद में स्केल और पद नाम बदलकर शिक्षक संवर्ग में पहुँचा दिया गया। अब इस नये मामले में सीएसए पर एक बार फिर सवाल उठ रहा है।