जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्राउंड वॉटर एक्शन ग्रुप, वाटर एड इंडिया, नेहरू युवा केंद्र संगठन एवं विज्ञान फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से राज्य स्तरीय जल चौपाल वेबिनार का सफल आयोजन किया गया, जिसका मुख्य विषय था ‘जल संरक्षण एवं परिस्थितिकी व्यवस्था का पुनरक्षण’।
वेबिनार की शुरुआत करते हुए वाटरएड इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक फ़ार्रुख रहमान खान ने अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस की सबको शुभकामनाएं दी एवं इस बात की जानकारी दी कि यूनाइटेड नेशन ने अगले 10 वर्ष के लिए जो थीम तय किया है वह है ‘इकोसिस्टम रीस्टोरेशन’ और यूनाइटेड नेशन के साथी देशों से आवाहन किया है कि अगले 10 वर्षों तक इकोसिस्टम रेस्टोरेशन के मुद्दे पर कार्य करने की अति आवश्यकता है और इस दिशा में पहल किया जाना जरूरी है।
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जल चौपाल में राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की ओर से सीमा कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जल जीवन मिशन के तहत महिलाओं की भागीदारी को प्रमुखता से देखा गया है। जल गुणवत्ता की जांच में महिलाओं की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित की जाएगी। पर्यावरण संरक्षण में जल संरक्षण एक प्रमुख भूमिका अदा करता है और इस काम में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है जिसे सुनिश्चित किया जाना स्थानीय स्तर पर बहुत आवश्यक है।
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नेशनल हेल्थ मिशन के एडिशनल मिशन डायरेक्टर डॉ. हीरा लाल ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को वॉटर फुटप्रिंट कम करने की जरूरत है, पेड़ लगाने के साथ पेड़ को जियाने का काम भी करना होगा, स्थानीय स्तर पर वर्षा जल संचयन के काम करने होंगे जिसमें जनभागीदारी प्रमुखता से सुनिश्चित करनी होगी।
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड के कार्यवाहक क्षेत्रीय निदेशक के रूप में पी.के. त्रिपाठी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमें हिस्टोरिकल वाटर लेवल तक आने के प्रयास करना होगा। पुराने बांधो को ठीक करना होगा, गांव में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की जरूरत होगी, भूजल प्रबंधन में वाटर बजटिंग जैसे तकनीकी विषय को लोकल भाषा में लोगों को बताना होगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हो पाए।
उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग के निदेशक वी.के. उपाध्याय ने कहा कि अटल भूजल योजना में बहुत संभावना है। इसमें पब्लिक पार्टिसिपेशन को सुनिश्चित किए बिना यह काम संभव नहीं हो पाएगा। पब्लिक पार्टिसिपेशन से ही रेस्टोरेशन और सस्टेनेबिलिटी का काम संभव हो सकता है।
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नदी एवं पर्यावरणविद् प्रो. वेंकटेश दत्ता ने अपनी बात रखते हुए कहा कि बड़ी नदियों के अलावा हमें छोटी नदियों, तालाबों, वेटलैंड आदि को रेस्टोरेशन करने की जरूरत है तभी हम इकोसिस्टम रेस्टोरेशन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। पानी को पैसे का काम नहीं बल्कि पैशन का काम के रूप में देखने की जरूरत है, लोगों को गांव संस्कृति की ओर वापस आना पड़ेगा।
वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक आर.एस. सिन्हा ने कहा कि वर्षा जल, भूजल एवं सतही जल को आपस में एक साथ देखने की जरूरत है और समेकित स्तर पर काम करने की जरूरत है। एक्वाफर रेस्टोरेशन में हमें ट्रिपल आर के कॉन्सेप्ट पर काम करने की जरूरत है- रिफ्यूज, रिड्यूस एंड रिचार्ज।
हमें भविष्य के किसी भी योजनाओं को क्रियान्वित करने से पहले पूर्व की योजनाओं की सीख को शामिल करने की जरूरत है इसका इंपैक्ट एनालिसिस नहीं हो पाया है। गांव-गांव में जल चौपाल के आयोजन करने की जरूरत है ताकि तकनीकी ज्ञान को लोग आसान भाषा में समझ सके और उसको लागू कर सकें।
नेहरू युवा केंद्र संगठन के क्षेत्रीय निदेशक नंद कुमार सिंह ने युवाओं पर जोर देते हुए कहा कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा आगे आने की जरूरत है और स्वैक्षिक पहल करने की जरूरत है ताकि पर्यावरण के मुद्दे पर स्थानीय स्तर पर पहल की जा सके। इस कार्य में जनभागीदारी बहुत आवश्यक है।
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वॉटर एड यू.के. से जुड़े पुनीत श्रीवास्तव ने यह सुझाव दिया कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे स्थानीय स्तर पर जल चौपाल के मॉडल को लेकर जाएं और पानी के मुद्दे पर व्यापक स्तर पर काम सुनिश्चित हो सके।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे वॉटर एड इंडिया से डॉ. शिशिर चंद्रा ने सभी साथियों का धन्यवाद किया और ऐसे आयोजन को लगातार आयोजित करने के दिशा में काम करने का सुझाव दिया। वेबिनार में करीब 300 सीधे जुड़े थे और करीब 1000 लोग फेसबुक लाइव के माध्यम से अपनी राय दे रहे थे।