जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र सरकार ने प्रदेश की महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला दिया है। आने वाले समय में प्रदेश में महिलाएं अपने पति की पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार होंगी। इतना ही नहीं राजस्व रिकॉर्ड में पति की पैतृक संपत्ति में भी महिला का नाम दर्ज होग। इस ऐतिहासिक फैसले पर मंत्रिमंडल ने बीते बुधवार को मुहर लगा दी।
उत्तराखंड सरकार के इस फैसले का महिला संगठनों ने स्वागत किया है। सरकार के इस फैसले से महिलाओं की असुरक्षा में कमी आयेगी।
उत्तराखंड में आने वाले समय में जहां महिलाएं पति की पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार होंगी तो वहीं तलाकशुदा और संतानहीन बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में अधिकार दिया गया है।
महिलाओं को न सिर्फ भूमि का मालिकाना हक दिया गया है बल्कि उन्हें भूमि पर लोन लेने के साथ ही उसे बेचने का अधिकार भी होगा। इसके अलावा जरूरत पडऩे पर महिलाओं को आसानी से लोन भी मिल सकेगा। हालांकि ये अधिकार पैतृक संपत्ति पर ही होगा.
इसके लिए उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी गई है। इस फैसले से महिलाओं को अब स्वरोजगार और विभिन्न स्वावलंबन योजनाओं के लिए बैंकों से ऋण उपलब्ध हो सकेगा। महिलाओं को ये अधिकार देने के लिए संबंधित अधिनियम की धारा-130, धारा-तीन की उपधारा-30 और धारा-171 में संशोधन किए गए हैं।
हालांकि, इस नियम में एक पेंच है कि अगर पत्नी तलाक लेकर किसी अन्य व्यक्ति से विवाह कर लेती है तो उसे यह लाभ नहीं मिलेगा।
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पहले सिर्फ पति द्वारा खरीदी गई सम्पत्ति पर होता था हक
सरकार के इस फैसले के बाद अब पैतृक संपत्ति पर पत्नी को संक्रमणीय अधिकार हो जाएगा। इससे पहले पति के द्वारा खरीदी गइ सम्पत्ति पर ही पत्नी का हक होता थ, जबकि पैतृक संपत्ति पर पति का ही अधिकार होता था।
पति की मौत के बाद ही पत्नी का अधिकार पति के द्वारा अर्जित की हुई संपत्ति पर होता है। जब स्त्री पति से तलाक ले लेती है तो ये अधिकार भी खत्म हो जाता है। अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में पत्नी को मिला अधिकार जीवित पति को होता है।
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