विकास ने पुलिस को बताया कि co मिश्र मुझसे व्यक्तिगत अदावत रखते थे
जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. उज्जैन के महाकाल मन्दिर में सरेंडर के बाद विकास दुबे से कानपुर में दस पुलिसकर्मियों के नरसंहार को लेकर सवाल- जवाब शुरू हो गए हैं. इस पूछताछ में विकास दुबे ने दहला देने वाली बातें कबूल की हैं.
विकास दुबे ने बताया कि पुलिसकर्मियों की हत्या की घटना के बाद घर के ठीक बग़ल में कुएं के पास पाँच पुलिस वालों की लाशों को एक के ऊपर एक रखा गया था. जिससे उनमें आग लगाकर सबूत नष्ट कर दिये जाएँ. आग लगाने के लिये घर में गैलनों में तेल रखा गया था.
उसने बताया कि काले रंग के एक पचास लीटर के गैलन में तेल से जलाने का इरादा था, लेकिन लाशें इकट्ठा करने के बाद उसे मौक़ा नहीं मिला. फिर वो फ़रार हो गया.
विकास दुबे ने शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र के बारे में बताया कि देवेंद्र मिश्र से मेरी नहीं बनती थी. कई बार वो मुझे देख लेने की धमकी दे चुके थे. पहले भी बहस हो चुकी थी. उसने बताया कि विनय तिवारी ने भी बताया था कि सीओ तुम्हारे ख़िलाफ़ हैं. लिहाजा मुझे सीओ पर ग़ुस्सा था.
विकास दुबे ने बताया कि सीओ को सामने के मकान में मारा गया था. उसने कहा कि सीओ को मैंने नहीं मारा लेकिन मेरे साथ के आदमियों ने दूसरी तरफ़ के आहाते से कूदकर मामा के मकान के आँगन में मारा था. उसने बताया कि सीओ के पैर पर भी वार किया था, क्योंकि मुझे पता चला था कि वो बोलता है कि विकास का एक पैर गड़बड़ है, दूसरा भी सही कर दूँगा. विकास ने कहा कि सीओ का गला नहीं काटा था, लेकिन गोली पास से सिर में मारी गयी थी इसलिये आधा चेहरा फट गया था.
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विकास दुबे ने बताया कि पुलिस के लोग मेरे संपर्क में थे. उसने साफ़ किया कि उसे अपने इनकाउंटर की जानकारी मिली थी. इसी इनकाउंटर के डर से पुलिस पर फायरिंग की थी. उसने कहा कि मौके पर अगर और पुलिस बल न आता तो लाशों को जला देता. विकास दुबे ने बताया कि पुलिस बल आने की खबर मिलने के बाद मैंने सभी साथियों को अलग-अलग भागने को कहा.
उसने बताया कि जब यह खबर मिली कि पुलिस उसके घर पर इनकाउंटर के लिए आ रही है तो मैंने अपने साथियों को हथियार के साथ बुलाया. मैंने 30 लोगों के लिए खाना बनवाया था. उसने बताया कि मैं मंदिर के परिसर में बैठ कर बहुत रोया हूं. मुझे किए पर अफसोस है, लेकिन मुझे ऐसा करने को मजबूर किया गया. मुझे गोली चलाने के लिए मजबूर किया गया.