न्यूज डेस्क
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान ही गंगा को निर्मल बनाना भारतीय जनता पार्टी के लिए मुख्य परियोजना में शामिल था। चुनाव जीतने के बाद केंद्र सरकार ने गंगा की सफाई के लिए एक अलग मंत्रालय तक बना दिया। केंद्र सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत काम भी शुरू हुआ जिसके तहत कई बड़े-बड़े नाले जोकि गंगा में गिर रहे थे उनको रोक दिया।
लेकिन केंद्र सरकार का ये ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे परियोजना’ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। इस बात का खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि खुद कानपुर के बिठूर विधानसभा छेत्र से बीजेपी विधायक अभिजित सिंह सांग ने किया है। उन्होंने शुक्रवार को पत्रकारों से बात चित के दौरान बताया कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा घाटों की सफाई के नाम पर एक निजी कंपनी बड़ा भ्रष्टाचार कर रही है।
बीजेपी विधायक ने बताया कि गंगा घाटों की सफाई का काम लेने वाली कंपनी अपने कर्मचारियों की डियूटी दिखाकर फर्जी पैसा वसूल रही है। कंपनी को कई बड़े अफसरों का संरक्षण मिला है। विधायक ने इसकी शिकायत कानपुर के डीएम से की है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मामले के खिलाफ आवाज उठाई तो कंपनी के साथ बीजेपी के ही बड़े जनप्रतिनिधि ने मिलकर उन्हें फंसाने की साजिश की। विधायक सांगा इस मामले की शिकायत सीएम योगी से करने की तैयारी की है।
इसके अलावा विधायक सांगा ने मामले में उन परिवारों को भी मीडिया से रुबरू कराया, जिन्हें सफाई कर्मचारी के तौर पर 30 से 35 हजार में रखा गया है। लेकिन उन्हें अभी तक वेतन नहीं दिया गया।
यही नहीं सांगा का यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार में लिप्त कंपनी को पूरे प्रदेश में काम करने का ठेका लखनऊ से मिला है। इस कंपनी को प्रदेश में गंगा के किनारे के घाटों पर सफाई का काम मिला है जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।