Monday - 28 October 2024 - 4:41 PM

पूर्वोत्तर में बीजेपी को क्या हो गया ! नेता छोड रहे हैं साथ

पॉलिटिकल डेस्क

लोकसभा चुनाव की सरगर्मी पूरे देश में चरम पर है। जहां पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन हो रहा है वहीं पूर्वोत्तर में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। अरूणाचल प्रदेश में दो मंत्री और 6 विधायकों सहित 18 नेताओं ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। पिछले एक सप्ताह के आंकड़ें देखे तो उत्तर पूर्व में 25 नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। यह बीजेपी के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश में गृहमंत्री कुमार वाई, पर्यटन मंत्री जारकर गामलिन, भाजपा महासचिव जर्पम गाम्बिन और छह अन्य विधायकों ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया।

पार्टी छोडऩे की क्या है वजह

अरूणाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी है। जिन नेताओं ने बीजेपी से इस्तीफा दिया है, वो टिकट न मिलने की वजह से नाराज चल रहे थे। इन लोगों ने कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ज्वाइन कर ली है। एनपीपी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।

भाजपा इस बार उत्तर पूर्व में केवल दो पार्टियों के साथ ही गठबंधन करने में कामयाब हो पाई। कोनारड संगमा की एनपीपी और सिक्किम की एसकेएम ने चुनाव से पहले भाजपा को झटका देते हुए गठबंधन से मना कर दिया।

नेताओं ने लगाया वंशवाद का आरोप

इस्तीफा देने वाले गृहमंत्री वाई ने कहा कि वे वंशवादी राजनीति के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हैं, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में देखिए। मुख्यमंत्री के परिवार को तीन टिकटें मिली हैं। वहीं वरिष्ठ एनपीपी नेता थॉमस संगमा ने कहा कि अब एनपीपी 60 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 30-40 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। अगर हम सीटें जीत जाते हैं तो अपनी सरकार बनाएंगे।

जारकर गामलिन ने कहा कि मेरे पास च्वाइस पार्टी और मेरे लोगों के बीच थे, जिनका नेतृत्व मैंने तीन साल तक किया.। वोटों की राजनीति में पार्टी की बजाय लोग ज्यादा अहम होते हैं। इसलिए मैंने मेरे समर्थकों के फैसले के साथ जाने का फैसला किया। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर मुझे पहले से बता दिया जाता कि मुझे टिकट नहीं दिया जाएगा तो मैं इस्तीफा नहीं देता, लेकिन पार्टी ने मुझे हमेशा झूठा भरोसा दिया है।

पार्टी का अंदरूनी मामला है टिकट का मुद्दा

टिकट कटने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता किरण रिजिजू ने कहा कि टिकट का मुद्दा पार्टी का अंदरूनी मामला है। टिकट बांटने का फैसला केंद्रीय चुनाव समिति की ओर से लिया गया है। राज्य चुनाव समिति की सिफारिशों पर आखिरी फैसला केंद्रीय चुनाव समिति लेती है। हां, मौजूदा मंत्रियों को टिकट देने से मना कर दिया गया, लेकिन संसदीय बोर्ड द्वारा जमीनी स्थिति का आंकलन किए जाने के बाद यह फैसला लिया गया।

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