जुबिली न्यूज डेस्क
मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) किसी देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मापन है। इस बार भारत को एचडीआई में 189 देशों में 131वां स्थान प्राप्त हुआ है। इस श्रेणी में भारत के पड़ोसी देशों में भूटान का प्रदर्शन (129वां स्थान) भारत से बेहतर है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 के मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में भारत को 0.645 अंक मिले हैं। इसकी वजह से भारत को मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा गया है।
189 देशों में 131वां स्थान प्राप्त हुआ है. पिछले साल भारत इसमें 129वें पायदान पर था, यानी कि इस साल भारत 2 पायदान नीचे खिसक गया है. बता दें कि एचडीआई किसी राष्ट्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मापन है.
सूची में भारत को जहां 131 वां स्थान मिला है तो वहीं पड़ोसी देश बांग्लादेश 133वें , नेपाल 142वें और पाकिस्तान 154वें स्थान पर है।
भारत का स्कोर बढ़ा पर रैंक गिरी
भारत का साल 2019 का एचडीआई स्कोर (0.645) साल 2018 के स्कोर (0.642) से बेहतर है, मगर अभी भी विकासशील देशों के औसत (0.689) से नीचे है।
सूचकांक बनाने वाली यूएनडीपी के स्थानीय प्रतिनिधि के अनुसार ऐसा नहीं है कि “भारत ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन दूसरे देशों ने और बेहतर किया।”
मानव विकास की धीमी होती रफ्तार
वर्ष 1990 से 2000 के दशक में भारत के अंकों में हर साल औसत 1.44 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। 2000 से 2010 के दशक में यह आंकड़ा 1.58 प्रतिशत हो गया, लेकिन 2010 से 2019 के बीच मानव विकास की रफ्तार गिर कर 1.21 प्रतिशत प्रति वर्ष हो गई। पिछले कुछ सालों में यह दर और भी गिर कर 2018 में 0.3 प्रतिशत और 2019 में 0.5 प्रतिशत पर आ गई।
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एचडीआई रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में भारत में जन्म के समय अनुमानित जीवन-काल 69.7 साल था। बांग्लादेश में यह आंकड़ा भारत से बेहतर 72.6 साल है और पाकिस्तान में भारत से खराब 67.3 साल है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्कूल में पढऩे की औसत अनुमानित अवधि 12.2 साल रही। इसमें भारत दूसरे देशों के मुकाबले 125वें पायदान पर है। स्कूली शिक्षा हासिल करने की असल अवधि इससे भी नीचे 6.5 साल ही रही।
एचडीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत, कंबोडिया और थाईलैंड में छात्रों में स्टंटिंग और वेस्टिंग जैसी कुपोषण से जुड़ी समस्याएं ज्यादा नजर आ रही हैं।
भारत में विशेष तौर पर लड़कों के मुकाबले लड़कियों में ज्यादा कुपोषण देखने को मिल रहा है। इसकी वजह है लड़कियों के प्रति माता-पिता का व्यवहार और लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य में सरकारी निवेश में गिरावट है।
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भारत में प्रति व्यक्ति आय
भारत में साल 2018 के मुकाबले 2019 में क्रय शक्ति समता (परचेजिंग पावर पैरिटी) के आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (ग्रॉस नेशनल इनकम पर कैपिटा) में भी गिरावट आई और यह 6,829 डॉलर से गिरकर 6,681 डॉलर पर आ गई। इसमें भारत दूसरे देशों के मुकाबले 162वें पायदान पर है।
सबसे अच्छा प्रदर्शन नार्वे का
मानव विकास सूचकांक में सबसे ऊपर नार्वे रहा। उसके बाद चोटी के पांच देशों में आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड शामिल रहे। चोटी के 10 देशों में जर्मनी, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स और डेनमार्क शामिल रहे।
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