Saturday - 26 October 2024 - 1:27 PM

यूपी के सियासी मैदान में हो रही है भोजपुरी फिल्म स्टार्स की खेमाबंदी

डॉ. उत्कर्ष सिन्हा

बीते 22 जून को जब सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक ट्वीट में अपने साथ भोजपुरी सिने स्टार खेसारीलाल यादव की तस्वीर पोस्ट की तो उसका कैप्शन दिया –“ लोकप्रिय भोजपुरी फ़िल्म अभिनेता व गायक खेसारी लाल यादव से हुई मुलाक़ात और ‘बाइस में बाइसिकल’ के संकल्प की बात”।

इस ट्वीट के बाद इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि भोजपुरी सिनेमा जगत के एक और बड़े नाम की एंट्री राजनीति में जल्दी ही होने वाली है।

इसके साथ ही भोजपुरी सिनेमा की एक्ट्रेस काजल निषाद के भी अखिलेश यादव के साथ मुलाकात ने खबरें हैं।

भोजपुरी मनोरंजन जगत में खेसारी लाल यादव की लोकप्रियता का अंदाज इसी बात से लग जाता है कि उनके गाने के रिलीज होते ही यू ट्यूब पर औसतन 1 करोड़ लोग उसे दखते हैं। हालिया दिनों में उनका गाना नून रोटी खाएंगे.. जबरदस्त हिट हुआ था।

काजल निषाद ने भोजपुरी सिनेमा के साथ लापतागंज जैसे लोकप्रिय सीरियल में अभिनय किया है और वे 2012 के विधान सभा चुनावों में वो कांग्रेस के टिकट पर गोरखपुर(ग्रामीण) से चुनाव लड़ चुकी हैं और चौथे स्थान पर रही थी।

भोजपुरी के दो सुपरस्टार मनोज तिवारी और रविकिशन पहले से ही राजनीति में हैं और फिलहाल दोनों भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं। तीसरे बड़े स्टार दिनेश लाल यादव ”निराहुआ” को भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के खिलाफ़ आजमगढ़ से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन निराहुआ चुनाव हार गए।

मनोज तिवारी और रविकिशन भले ही फिलहाल भाजपा के सांसाद हैं मगर उनकी सियासी एंट्री समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के रास्ते हुई थी।

मनोज तिवारी को समाजवादी पार्टी ने 2009 के लोकसभा चुनावों में गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के मुकाबले उतारा था, लेकिन मनोज वो चुनाव हार गए, मनोज तिवारी सन 2011 में बाबा रामदेव द्वारा रामलीला मैदान पर शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और अन्ना आंदोलन में सक्रिय रहे और इसके कुछ दिनों बाद वे भाजपा में शामिल हो गए।

भाजपा ने उन्हे 2014 के आम चुनावों में मनोज तिवारी उत्तर पूर्वी दिल्ली लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से लड़ाया जहां वे जीते और फिर 2019 में भी जीत हासिल करने में कामयाब हुए। दिल्ली के यूपी बिहार के मतदाताओं को रिझाने के लिए उन्हे दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बना दिया।

भोजपुरी के अमिताभ माने जाने वाले रवि किशन भी राजनीति का मोह नहीं छोड़ सके, 2014 के लोकसभा चुनावों में अपने गृह जिले जौनपुर से वे कांग्रेस के टिकट पर लड़े। रवि किशन ने तब कहा था- कांग्रेस उनकी रगों में बहती है।

लेकिन बड़ी चुनावी शिकस्त ने रविकिशन को हिला दिया, इसके बाद उन्होंने मनोज तिवारी के जरिए भाजपा में एंट्री कर ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हे योगी आदित्यनाथ की पारंपरिक सीट रही गोरखपुर से उतारा और इस बार रविकिशन लोकसभा में पहुँचने में कामयाब रहे।

यूपी की सियासत में फिल्मस्टार्स का उपयोग सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी ने किया, मगर फिलहाल भोजपुरी के बड़े सितारे भगवा खेमे में दिखाई दे रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में फिल्मी सितारों की मौजूदगी अब कोई नई बात नहीं रही। पहले ये सितारे चुनाव प्रचार का हिस्सा हुआ करते थे मगर अब वे खुद ही सियासत में मौजूद हैं। हिन्दी सिनेमा की दो मशहूर अभिनेत्रियाँ हेमा मालिनी मथुरा से भाजपा सांसद हैं और जया  बच्चन राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की नुमाईंदगी कर रही हैं।  

इसके अलावा नफीसा आली, संजय दत्त और जावेद जाफरी भी लखनऊ से सपा और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी रहे। हालाकी अदालत के रोक के बाद संजय दत्त चुनाव नहीं लड़ सके और उनकी जगह सपा ने नफीसा अली को उम्मीदवार बनाया।

हेमा मालिनी और जया बच्चन को छोड़ कर हिन्दी सिनेमा का कोई सितारा यूपी की राजनीति में नहीं टिका और वापस हो गया , मगर भोजपुरी सितारे इस मामले में अलग हैं। मनोज तिवारी की दिखाई राह पर चले रविकिशन, दिनेश यादव निराहुआ और काजल निषाद लगातार मैदान में डेट हुए हैं और अब खेसारी लाल यादव के सियासत में आने की पृष्ठभूमि बन रही है।

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