मल्लिका दूबे
गोरखपुर। पिछले चुनावों में बुरा हश्र होने के बावजूद भोजपुरी फिल्म स्टार्स को सियासी रंगमंच रिझाने लगा है। चुनावी स्टुडियो में जनता को उनके ठुमके कुछ खास पसंद नहीं आये हैं लेकिन अभिनेता से नेता बनने की ललक कम होने का नाम नहीं ले रही है। भोजपुरी फिल्म जगत में स्थापित रवि किशन शुक्ला वर्ष 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जौनपुर में मिली करारी शिकस्त को भूलकर अब भाजपा प्रत्याशी के रूप में सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर में सियासी अभिनय को आतुर हैं। अब उनकी इच्छा को भाजपा नेतृत्व कितनी गंभीरता से लेता है, यह देखने की बात होगी लेकिन बता दें कि यह वही गोरखपुर है जहां संप्रत्ति भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष व भोजपुरी फिल्म जगत के वर्तमान दौर के कथित सुपरस्टार कहे जाने वाले मनोज तिवारी ‘मृदुल” की सपा प्रत्याशी के रूप में वर्ष 2009 में जमानत जब्त हो चुकी है।
पिछले चुनाव में रवि किशन का सुपर फ्लाप शो
कंधे पर भगवा गमछा डाल इतराने वाले रवि किशन शुक्ला पहले कांग्रेस की नीतियों संग थिरकते थे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने न केवल अपने स्टार प्रचारकों में शामिल किया बल्कि उनके अपने गृहक्षेत्र जौनपुर से प्रत्याशी भी बनाया। मोदी लहर में रवि किशन के सियासी ठुमकों और संवाद अदायगी को पसंद करने वाले ही नहीं मिले। नतीजा देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी का प्रत्याशी होने के बावजूद वह जमानत गंवाकर छठवें स्थान पर जा बैठे। उन्हें महज 4.25 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए थे।
भाजपा में शामिल होते ही जतायी थी चुनावी इच्छा
रवि किशन शुक्ला फरवरी 2017 में भाजपा में शामिल हो गये। भाजपाई बनने के बाद जब गोरखपुर आना हुआ तो गोरखनाथ मंदिर में मत्था टेकने के साथ ही उन्होंने यह इच्छा जता दी थी कि अगर ‘बाबा” की इच्छा हुई तो वह गोरखपुर से चुनाव लड़ना चाहेंगे। यहां बाबा से उनका मंतव्य वर्तमान में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से था।
सियासत में गोरखपुरियों को नहीं भाये थे मनोज तिवारी
भोजपुरी फिल्म जगत के आधुनिक दौर के पहले सुपरस्टार माने जाने वाले मनोज तिवारी ‘मृदुल” को चुनावी चस्का 2009 के लोकसभा चुनाव में लगा था। तब मनोज तिवारी का नाम भोजपुरी क्षेत्र में इतना बड़ा था कि उनके मनोरंजक कार्यक्रमों में तिल रखने की जगह नहीं बचती थी। पर, जैसे ही सियासी रंगमंच पर मनोज आए, लोगों को नहीं भाए। वर्तमान में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में 2009 में गोरखपुर से चुनाव लड़े मनोज तिवारी की जमानत भी नहीं बची। महज 11.09 प्रतिशत मतों के साथ उन्हें तीसरे पायदान पर ही रुकना पड़ा था।