Thursday - 31 October 2024 - 7:02 AM

थाईलैंड के राजदूत डॉक्टर परविंदर सिंह का राजा अयोध्या ने किया स्वागत

पीयूष त्रिपाठी

  • डॉक्टर परविंदर सिंह ने थाईलैंड की ओर से आवास विकास परिषद से मांगी 5 एकड़ भूमि जिसमें बनेगा थाई सांस्कृतिक केंद्र

लखनऊ/ थाईलैंड यानी पूर्व में मलय और स्यामदेश। प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या धाम में नव्य मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित कर चुकी है। विश्व के कई देश यहां की ओर आकर्षित है। इनमें से एक देश जो भारत से 2920 किमी दूर है लेकिन यहां अभी भी रामराज्य है तो फिर भला रामलला के जन्मस्थली अयोध्या के प्रति उनकी श्रद्धा व आकर्षण नया आकार क्यों न लें, थाईलैंड की प्रबल इच्छा है कि उसे अयोध्या में अपना एक सांस्कृतिक केंद्र खोलने का मौका दिया जाए।

इस सिलसिले में भारत नेपाल में थाई धम्म दूत बिक्खुश के प्रमुख रॉयल थाई मठ बुद्ध गया के मुख्य मठाधीश फ्रादमबोधिवोंग के प्रतिनिधि व फाउंडर पेज3 न्यूज वर्ल्डवाईड यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड पीस इंस्टीट्यूट अम्बेसडर अमेरिका थाईलैंड के डॉ० परविंदर सिंह दोबारा अयोध्या आए जिनका श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन मिश्र तथा राजपरिवार के द्वारा स्वागत किया गया।

इस मौके पर प्रेस क्लब अयोध्या के अध्यक्ष महेंद्र त्रिपाठी ने रामनामी भेंट कर उनका सम्मान किया।  राजा अयोध्या ने मेहमान का अभिनन्दन अपने गनर शुभिराज सिंह से कराया। रामलला के दर्शन भी आये हुए विदेशी मेहमान ने करके प्रभु का आशीर्वाद लिया। अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव सत्येंद्र सिंह व उत्तर प्रदेश अयोध्या विकास परिषद के अधिशाषी अभियंता ओमप्रकाश पाण्डेय से मुलाकात कर भूमि विकास गृह स्थान एवम बाजार योजना के अंतर्गत भू खण्ड आवंटित करने के सम्बंध में 5 एकड़ भूमि के लिए थाईलैंड सरकार की तरफ से मांगपत्र दिया।

थाईलैंड के राजदूत डॉ परविंदर सिंह ने कहा कि रामलला का दर्शन पूजन कर जीवन धन्य हो गया। आनन्द की इतनी अनुभूति हुई कि मानो मोक्ष प्राप्त हो गया। उन्होंने कहा कि भूमि आवंटित हो जाती है तो अयोध्या में विदेशी पर्यटकों के लिए कई सौगातें देने की तैयारी है तथा तीन हवाई जहाज थाईलैंड से राम भक्तों के लिए यहाँ लैंड करेंगे और राम भक्तों को रामलला के साथ चारो धामों के दर्शन कराए जाएंगे।

गौरतलब है कि थाईलैंड में भी एक अलग तरह की रामायण प्रचलित है। इस रामायण को रामाकीन कहा जाता है जो थाईलैंड के राष्ट्रीय काव्य में से एक है। रामाकीन थाई शब्द है जिसका हिंदी अनुवाद होगा भगवान राम की गाथा। शायद आपको ना पता हो, लेकिन थाईलैंड में भी कई मंदिर हैं जहां हिंदू देवी – देवताओं का एक अलग अवतार देखने को मिलता है। भगवान राम और सीता की कहानी का मंचन आपने भारत में कई बार देखा होगा लेकिन थाईलैंड में इसका यह अनोखा रूप आपको काफी प्रेरित कर सकता है।

रामायण का वाल्मीकि द्वारा लिखा हुआ संस्कृत का वर्जन ही सबसे पुराना माना जाता है लेकिन थाईलैंड, बाली, मलेशिया जैसे देशों में इसका अनुवाद और अपना अलग संस्करण देखने को मिलता है। धर्म और राजतंत्र थाई संस्कृति के दो स्तंभ हैं और यहां की दैनिक जिंदगी का हिस्सा भी। बौद्ध धर्म यहां का मुख्य धर्म है। इस्लाम धर्म एवं ईसाई धर्म के अनुयायी भी थाईलैंड मे अच्छी खासी संख्या में पाए जाते हैं। गेरुए वस्त्र पहने बौद्ध भिक्षु और सोने संगमरमर व पत्थर से बने बुद्ध यहां आमतौर पर देखे जा सकते हैं। यहां मंदिर में जाने से पहले अपने कपड़ों का विशेष ध्यान रखें। इन जगहों पर छोटे कपड़े पहन कर आना मना है।

थाईलैंड का शास्त्रीय संगीत चीनी, जापानी, भारतीय और इंडोनेशिया के संगीत के बहुत समीप जान पड़ता है। यहां बहुत की नृत्य शैलियां हैं जो नाटक से जुड़ी हुई हैं। इनमें रामायण का महत्वपूर्ण स्थान है। इन कार्यक्रमों में भारी परिधानों और मुखौटों का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन समय यह हिंदू सभ्यता से परिपूर्ण देश था। आज भी यहां हिंदू संस्कृति की झलक देखने को मिल ही जाती है। रामायण यहां बहुत लोकप्रिय है।

कालांतर में भारतीय बौद्ध राजाओं ने यहां बौद्ध धर्म का प्रचार किया और यह देश बौद्ध देश के रूप में प्रख्यात हुआ। उल्लेखनीय है कि डॉ परविंदर सिंह पेज3 न्यूज के फाउंडर व सीईओ भी हैं। धर्मावलंबी डॉ परविंदर सिंह का पेज3 न्यूज के रूप में स्थापित समाचार पत्र बहुभाषी है। इसका इंडिया से भी प्रकाशन हो रहा है और यह बहुत तेजी के साथ अन्य विदेशी अखबारों के मुकाबले लोकप्रिय हो रहा है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com