जुबिली स्पेशल डेस्क
गाजियाबाद। किसान आंदोलन अब सरकार के लिए गले की हड्डी बन गया है। आलम तो यह है कि सरकार इस आंदोलन को जल्द से जल्द खत्म कराने की कोशिशों में जुटी हुई है। इसलिए उसने किसानों के एक बार नहीं बल्कि पांच बातचीत की है। इतना ही नहीं अमित शाह भी अलग से किसानों से बातचीत कर चुके हैं लेकिन अब तक इसका हल नहीं निकला है।
उधर किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज करने की बात कही है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हमारी 15 में से 12 मांगों पर केंद्र सहमत इससे यह पता चलता है कि यह बिल सही नहीं है।
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इसके साथ उन्होंने कहा कि 12 दिसंबर को टोल फ्री किए जाएंगे और 14 दिसंबर को जिला मुख्यालय पर ज्ञापन दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलन उग्र रूप लेगा लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से धरना जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि सरकार को 15 प्रस्ताव दिया गया था और सरकार ने 12 प्रस्ताव पर अपनी हामी भर दी थी लेकिन तीन प्रस्ताव को लेकर सहमति नहीं बनी। इससे पता चलता है कि किसानों की असली समस्या से सरकार कोसों दूर है।
उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट पर भी सरकार का रवैया ढुलमुल रहा ह। हमारी लड़ाई केंद्र सरकार से है किसी राज्य सरकार से नहीं। आंदोलन बड़े पैमाने पर किया जाएगा।
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बता दें कि किसान नेताओं ने बताया कि किसान आन्दोलन में देश के पांच सौ से ज्यादा संगठन शामिल हो चुके हैं। यह सभी संगठन केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। किसान आने वाले दिनों में दिल्ली जयपुर हाइवे को भी जाम कर सकते हैं।
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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली बार्डर को घेर रखा है। केन्द्र सरकार के साथ इस मुद्दे पर पांच दौर की बात हो चुकी है। पांच दौर की बातचीत के बाद भी हालात जहाँ के तहां हैं। न सरकार झुकने को तैयार है न किसान ही अपने आगे बढ़े हुए कदम पीछे हटाने को तैयार हैं।