जुबिली स्पेशल डेस्क
किसानों का आंदोलन अब तेज हो गया है। सरकार और किसानों के बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है। कृषि कानूनों को लेकर किसान सड़क पर है और सरकार किसी तरह से इस आंदोलन को खत्म कराना चाहती है।
हालांकि दोनों पक्षों के बीच अब तक पांच बार बातचीत हुई है लेकिन इस बातचीत का कोई भी नतीजा नहीं निकला है। दोनों पक्षों में एक बार फिर 9 दिसंबर को फिर से बातचीत करेगे ।
उधर 8 दिसंबर को किसान संगठनों ने राष्ट्रव्यापी भारत बंद का ऐलान किया है। इस भारत बंद को पूरा विपक्ष समर्थन दे रहा है। इसके साथ ही किसानों के आंदोलन को विपक्षी पार्टियां, ट्रेड यूनियन, ऑटो और टैक्सी यूनियनों का भी सपोर्ट मिल रहा है।
राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सर्विस सेक्टर की सेवाएं भी प्रभावित होने की आशंका है। दिल्ली-एनसीआर और हरियाण में बंद का असर साफ देखा जा सकता है।
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किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने 8 दिसंबर को भारत बंद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमनें 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है, जो कि सुबह से शुरू होगा और देर शाम तक चलेगा। हड़ताल के दौरान दुकानें और व्यापार बंद रहेंगे। हालांकि, बंद के दौरान एंबुलेंस समेत दूसरी आपातकाल सेवाएं चालू रहेंगी।
उन्होंने कहा कि हमने भारत बंद का आह्वान किया है और यह सुबह 8 बजे से लेकर शाम तक चलेगा। उनका कहना है कि इस दौरान दुकानें और कारोबार बंद पूरी तरह से बंद रहेंगे। इसके अलावा हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की सभी मंडियों में कामकाज पूरी तरह से बंद रहेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शादी के कार्यक्रमों को बंद से छूट मिल सकती है।
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स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि 8 दिसंबर को सुबह से शाम तक भारत बंद रहेगा। चक्का जाम शाम तीन बजे तक रहेगा. दूध-फल-सब्ज़ी पर रोक रहेगी। शादियों और इमरजेंसी सर्विसेज़ पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।
8 तारीख को सुबह से शाम तक भारत बंद रहेगा। चक्का जाम शाम तीन बजे तक रहेगा। दूध-फल-सब्ज़ी पर रोक रहेगी। शादियों और इमरजेंसी सर्विसेज़ पर किसी तरह की रोक नहीं होगी: सिंघु बॉर्डर पर जय किसान आंदोलन से योगेंद्र यादव pic.twitter.com/gvc14gxSLR
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 6, 2020
केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान लामबंद है। पिछले 11 दिन से दिल्ली बार्डर पर देश भर के किसान डेरा डाले हुए हैं। केंद्र सरकार से किसान नेताओं की कई चरण की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा न निकलने की वजह से कल किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है।
किसानों के आंदोलन को देश-विदेश हर जगह से समर्थन मिल रहा है। दिल्ली की सीमा पर, मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मंगलवार, 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। किसानों के इस भारत बंद को देश की कई राजनीतिक पार्टियों ने भी समर्थन दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, डीएमके चीफ एम के स्टालिन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, लेफ्ट फ्रंट के सीताराम येचुरी और डी राजा समेत भारत के 11 बड़े राजनेताओं ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है।
जब से यह कानून आया है तब से किसान इसका विरोध कर रहे हैं। राज्यों में किसानों के आंदोलन को सरकार द्वारा गंभीरता से न लेने के बाद किसानों ने दिल्ली आने का फैसला किया। किसान चाहते हैं कि सरकार इन कानूनों को वापस ले।
एक संयुक्त बयान जारी करते हुए, भारत की 11 राजनीतिक पार्टियों ने कहा है कि मोदी सरकार ने ‘गैर-लोकतांत्रिक तरीके सेÓ इन कानूनों को संसद में पास किया जिनपर कोई चर्चा नहीं की गई।
इन राजनीतिक पार्टियों ने अपने बयान में दावा किया है कि इससे भारत में खाद्य संकट बढ़ेगा, किसानों की परिस्थितियां और बिगड़ जायेंगी, साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ना मिलने की वजह से भारतीय कृषि क्षेत्र की दशा बिगड़ेगी।
वहीं तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, अकाली दल, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के सहयोगी – असम गण परिषद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है। हालांकि, संयुक्त बयान पर इन पार्टियों के नेताओं के हस्ताक्षर नहीं हैं।