Wednesday - 30 October 2024 - 11:56 AM

भारत बंद: सरकार ने अपने कर्मचारियों को दी चेतावनी, कहा- धरने में शामिल…

न्यूज डेस्क

पूरे देश में पिछले कई दिनों से विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है। आज विभिन्न ट्रेड यूनियनों द्वारा भारत बंद का आह्वान किया है, जिसमें लोगों को शामिल होने के लिए कहा गया था। फिलहाल इस मामले में केन्द्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने अपने कर्मचारियों को नोटिस जारी कर चेतावनी दी है कि कोई भी भारत बंद में शामिल होता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अलावा श्रम एवं रोजगार ने भी इसी तरह का सर्कुलर जारी कर धरने में शामिल होने से मना किया है। यह नोटिस 6 और 7 जनवरी के बीच में जारी किया गया है।

कर्मचारियों के लिए जारी इस नोटिस में लिखा है, ‘सरकार के संज्ञान में ये बात आई है कि भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर केंद्रीय व्यापार संघों (सेंट्रल ट्रेड यूनियनों) और इनके सहयोगी आठ जनवरी 2020 को देश भर में धरना प्रदर्शन करने वाले हैं। ये प्रदर्शन मुख्य रूप से केंद्र सरकार के श्रम सुधार, एफडीआई, विनिवेश, कॉरपोरेटाइजेशन और नितियों का निजिकरण के खिलाफ है और वे अपने 12 सूत्रीय मांग रखेंगे।’

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने आगे कहा, ‘डीओपीटी द्वारा जारी किए गए निर्देश के तहत किसी भी सरकारी कर्मचारी को किसी भी तरह के धरना, हड़ताल के रूप में धीरा काम करना, सामूहिक आकस्मिक अवकाश इत्यादि की मनाही है। ऐसे किसी कार्य पर प्रतिबंध है जिससे सीसीएस (कंडक्ट) रूल्स, 1964 के नियम 7 का उल्लंघन हो।’ 

यह भी पढ़ें : जेएनयू हिंसा : असहिष्णुता के बारे में सही थे शाहरूख और आमिर

यह भी पढ़ें : ‘भारत बड़ी मंदी के छोर के बेहद नजदीक’

डीओपीटी ने नोटिस में यह भी कहा कि इन सबके अलावा अगर कोई बिना किसी इजाजत के अपने काम से छुट्टी पर पाया जाता है तो मौलिक नियमों के नियम 17 (1) के अनुसार ऐसे कर्मचारियों को वेतन और भत्ता नहीं दिया जाएगा।

मालूम हो ट्रेड यूनियनों इंटक, एचएमएस, एटक, एआईयूटीयूसी, सीटू, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने सितंबर 2018 में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी।

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने अपने संयुक्त बयान में कहा है, ‘आठ जनवरी को आगामी आम हड़ताल में हम कम से कम 25 करोड़  लोगों की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं। उसके बाद हम कई और कदम उठाएंगे और सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे।’ 

बयान में कहा गया है, ‘श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिकों को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है। श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी। सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है।’

हालांकि हड़ताल से पहले ही कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने नोटिस जारी कर किसी को भी इस तरह के प्रदर्शन में जाने से मना कर दिया और कहा, ‘सरकारी कर्मचारी को हड़ताल पर जाने का अधिकार देने वाला कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।’

कार्मिक विभाग ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने कई फैसलों में माना है कि हड़ताल पर जाना आचरण नियमों के तहत घोर कदाचार है और ऐसा करने वाले सरकारी कर्मचारी पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।

डीओपीटी ने कहा, ‘अगर कोई किसी भी तरह के धरने में शामिल होता है तो सैलरी काटने के अलावा उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।’

यह भी पढ़ें : नहीं मिला इंसाफ तो गैंगरेप पीड़िता ने लगा ली फांसी

यह भी पढ़ें : अमेरिका-ईरान तनाव के बीच भारत ने जारी किया अलर्ट

 

विभाग ने सभी अधिकारियों से कहा है कि वे हड़ताल के दौरान कर्मचारियों को आकस्मिक छुट्टी (कैजुअल लीव) या किसी भी तरह की छुट्टी न दें। अगर कोई धरने में जाता है तो कार्रवाई के लिए सभी विभागीय प्रमुख ऐसे लोगों के नाम और नंबर को शामिल करते हुए रिपोर्ट भेजें।

बता दें इस समय देश के विभिन्न हिस्सों में ट्रेड यूनियनों द्वारा विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर ट्रेन ट्रैक, सड़क इत्यादि को जाम कर रखा है। राजधानी दिल्ली में भी भारी संख्या में लोग धरने पर हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे सरकार कि ‘मजदूर विरोधी नीतियों’ का विरोध कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें : टोल प्लाजा पर ‘माननीयों’ ने दिखाई दबंगई

यह भी पढ़ें : सीएए पर ममता बनर्जी को किसने दिया झटका

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com