Friday - 25 October 2024 - 4:25 PM

BJP के लिए नाक का सवाल है बंगाल

पॉलिटिकल डेस्क

पश्चिम बंगाल इन दिनों एक नई किस्म की राजनीति की प्रयोगशाला बना हुआ है। चंद वर्षों में यहां की राजनीति की परिभाषा बदल गई है। लगभग सभी राजनीतिक दल विभिन्न मजहब के लोगों को लुभाने में काफी समय बिता रहे हैं। टीएमसी हो या बीजेपी, कांग्रेस हो या लेफ्ट कोई पीछे नहीं है। लोकसभा चुनाव 2019 में भी ऐसा ही माहौल है।

पश्चिम बंगाल में ममता को चुनौती देने वाली बीजेपी ने यहां का सियासी समीकरण बदल दिया है। यहां हिंदू-मुस्लिम, राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे हैं। बीजेपी की सक्रियता ने 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल को राजनीति का केन्द्र बिंदु बना दिया है।

एक दौर था जब उत्तर प्रदेश, देश का प्रधानमंत्री तय करता था। इस चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 सीटें देश का अगला प्रधानमंत्री तय करने वाली हैं। दरअसल बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को पता है कि 2014 लोकसभा चुनाव का इतिहास इस चुनाव में बीजेपी नहीं दोहरा पायेगी।

भले ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यूपी में 73 प्लस और सीएम योगी आदित्यनाथ 74 प्लस सीट का दावा करे लेकिन असलियत से सभी वाकिफ हैं।
सपा-बसपा गठबंधन के बाद से ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी बैकफुट पर आ गई थी। दो चरण मतदान के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई सीटों पर गठबंधन को बढ़त मिलता देख बीजेपी ने अपनी रणनीति बदली।

भाजपा के अंदर चुनाव लड़ाने वाली टीम के सदस्य के मुताबिक उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर बीजेपी जीत रही है लेकिन कुछ सीटों पर महागठबंधन का समीकरण ऐसा बैठा है कि बीजेपी कितनी भी ताकत लगा लें जीत ही नहीं सकती। इसलिए विकल्प में भाजपा के सभी थिंक टैंक पश्चिम बंगाल पर नजर गड़ाए बैठे हैं।

इस बार भाजपा के रडार पर हर मामले में बंगाल है। जानकारों के मुताबिक यहां चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोक दी है। बंगाल के चुनाव की मॉनिटरिंग दिल्ली से ज्यादा गांधीनगर से की जा रही है।

गुजरात में चुनाव खत्म होते ही वहां के कई नेताओं को भी बंगाल भेजा गया है। पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल कि क्या बंगाल में इतनी ताकत 2024 के लिए लगाई जा रही है, पर उन्होंने कहा था कि भाजपा वहां की 42 में से कम से कम 23 सीटें जीतने जा रही है।

पश्चिम बंगाल में हो रही है प्रधानमंत्री बनने की लड़ाई

दरअसल पश्चिम बंगाल की इस बार की लड़ाई प्रधानमंत्री बनने की है। बीजेपी हिंदी पट्टी राज्यों में कम हुई सीटों की भरपाई यहां से करना चाह रही है तो वहीं ममता बनर्जी ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रही है।

यदि तृणमूल 42 में से 35-38 सीट जीतती है तो किसी भी कीमत पर प्रधानमंत्री की कुर्सी से समझौता नहीं करेंगी। इसीलिए ममता का तेवर सातवें आसमान पर है। वह बीजेपी को उसी के तरीके से टक्कर दे रही हैं।

पश्चिम बंगाल में मोदी-शाह ने की ताबड़तोड़ रैली

42 सीटों पर पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जितना वक्त दिया उतना 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश को नहीं दिया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तो एक साल पहले से पश्चिम बंगाल में अपनी जड़े मजबूत करने में लगे हुए थे।

जिस पश्चिम बंगाल में बीजेपी के पास चुनाव लड़ाने के लिए मजबूत प्रत्याशी नहीं था वहां 2014 के चुनाव में यूपी के तर्ज पर बीजेपी ने अपने सारे विकल्प खोल दिए और जिस पार्टी से जो भाजपा में आया उसे टिकट दे दिया गया।दरअसल बीजेपी इस बार पश्चिम बंगाल का चुनाव, 2014 के चुनाव के तर्ज पर लड़ रही है। 2014 में उत्तर प्रदेश के चुनाव में बीजेपी ने जो प्रयोग किया था वहीं पश्चिम बंगाल में कर रही है।

मालूम हो 2014 के पहले बीजेपी उत्तर प्रदेश में चौथे पायदान पर थी लेकिन बूथ से लेकर प्रदेश स्तर पर ऐसा माहौल बनाया गया कि वहां असली टक्कर बीजेपी से है। बंगाल में भी ऐसा ही कुछ बीजेपी ने किया है। हिंदु-मुस्लिम, राम-राष्ट्रवाद  जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी, पश्चिम बंगाल में भी यह मुद्दे बनाने में कामयाब हो गई।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल में पहली बार चुनाव पूरी तरह धर्म के आधार पर लड़ा जा रहा है। इससे पहले बंगाल का चुनाव कैडर के दम पर ज्यादा लड़ा जाता था, लेकिन अब वामपंथी कैडर रामपंथी हो गया है। ममता को मुसलमान वोट तो मिल रहा है, लेकिन हिंदू वोटों का बहुत तेजी से ध्रुवीकरण हो रहा है।

धर्म के बहाने वोटों का ध्रुवीकरण

14 मई को पश्चिम बंगाल में अमित शाह की रैली में हिंसा हुई। उसके बाद तो पश्चिम बंगाल की सियासत बिल्कुल बदल गई। 19 मई को यहां 9 सीटों पर चुनाव होना है। बीजेपी यहां एक-एक सीट पर नजर बनाये हुए है।

बीजेपी ममता बनर्जी को घेरने में लगी हुई है। बीजेपी के कट्टर हिंदुत्ववादी छवि के नेता सीएम योगी आदित्यनाथ भी पश्चिम बंगाल में डटे हुए हैं और अपने आक्रामक भाषण से हिंदुत्व को हवा दे रहे हैं।

पिछले दो दिन में पश्चिम बंगाल की सियासत में घमासान मचा हुआ है। बीजेपी और टीएमसी एक-दूसरे पर हमलावर हैं। दोनों पार्टियां सारे हथकंडे 19 मई के लिए आजमा रही है। फिलहाल 23 मई के बाद स्थिति साफ होगी कि पश्चिम बंगाल किसे प्रधानमंत्री की कुर्सी देता है।

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