जुबिली न्यूज डेस्क
पश्चिम बंगाल और असम में दूसरे चरण का मतदान शुरु हो गया है। जहां बंगाल में 30 सीटों पर मतदान हो रहा है तो वहीं असम में 39 सीटों पर हो रहा है।
पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण की 30 विधानसभा सीटों में पूर्व मेदिनीपुर जिले की सबसे हाई प्रोफाइल नंदीग्राम सीट भी शामिल है। यहां से
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनावी मैदान में हैं।
ममता का मुकाबला बीजेपी में शामिल होने से पहले उनके सबसे करीबी रहे शुभेंदु अधिकारी से है। यहां से संयुक्त मोर्चे की उम्मीदवार के रूप में सीपीएम की मीनाक्षी मुखर्जी चुनावी मैदान में हैं।
चुनाव आयोग ने नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र को संवेदनशील मानते हुए बुधवार से ही यहां सीआरपीसी की धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी थी।
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एक अधिकारी के मुताबिक चुनाव आयोग ने क्षेत्र की निगरानी के लिए एक हेलीकॉप्टर भी रखा है। साथ ही बाहरी लोगों के नंदीग्राम में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है।
वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के वोटरों से अपील की है कि वे गुरुवार को रिकॉर्ड संख्या में मतदान करें।
दूसरे चरण में जिन अन्य सीटों पर मतदान हो रहा है उनमें पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर और बांकुड़ा की 26 सीटों के साथ ही दक्षिण 24-परगना जिले की चार सीटें शामिल हैं।
इसमें खडग़पुर सदर के अलावा बांकुड़ा, चंडीपुर, मोयना, देबरा और सबंग सीटें भी शामिल हैं। 2016 में खडग़पुर सीट भाजपा प्रदेश दिलीप घोष ने जीती थी, लेकिन उनके लोकसभा में चुने जाने के बाद 2019 के उप-चुनाव में टीएमसी ने इस पर कब्जा कर लिया था। बीजेपी ने यहां अभिनेता हीरेन चटर्जी को मैदान में उतारा है।
असम में कांग्रेस ने झोकी ताकत
असम में दूसरे चरण में 39 विधानसभा सीटों पर आज मतदान हो रहा है। दूसरे चरण के मतदान में बंगाली बहुल बराक घाटी की 15 सीटों को लेकर चर्चा है, जहां असमिया बहुल ब्रह्मपुत्र घाटी के लोगों ने सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) का विरोध किया था, उसके विपरीत बराक घाटी के हिंदू बंगालियों ने इसका समर्थन किया था।
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लेकिन वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले हिन्दू बंगाली मतदाता सत्तारूढ़ भाजपा के सीएए को अब तक लागू नहीं करने से नाराज हैं और इस कारण इस बार के चुनाव बेहद दिलचस्प हो गए हैं।
असम में चुनाव प्रचार में भाजपा की ओर से जहां पीएम मोदी और गृह मंत्री ने अमित शाह ने कमान संभाली थी, वहीं कांग्रेस से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खडग़े, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जैसे बड़े नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोक दी है।
असम में एक और चीज देखने को मिला है। जहां बंगाल की चुनावी रैलियों में भाजपा नेता सीएए को लागू करने की बात स्पष्ट तौर पर कहते दिख रहे हैं, वहीं असम में इस कानून पर उनकी खामोशी रही जिससे यहां के हिन्दू बंगाली मतदाता असमंजस की स्थिति में हैं।
असल में दूसरे चरण की जिन सीटों पर मतदान हो रहा है, वहां हिन्दू बंगाली मतदाताओं की संख्या काफी है और इन इलाकों में इस बार नागरिकता का मुद्दा सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है।
2011 की जनगणना के मुताबिक असम की कुल जनसंख्या 3 करोड़ 11 लाख थी जिनमें लगभग 24 फीसदी हिन्दू बंगाली हैं अर्थात राज्य में लगभग 75 लाख हिन्दू बंगाली हैं।
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ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल को प्रदेश में सरकार बनाने के लिए इन मतदाताओं का समर्थन बेहद जरूरी है।
असम में अब तक जिस पार्टी ने भी सरकार बनाई है, उसकी कैबिनेट में हिन्दू बंगाली मंत्री हमेशा रहा है, लेकिन फिर भी इस समुदाय की नागरिकता सवालों के घेरे में है।