न्यूज डेस्क
यह नया भारत है, फिर भी सदियों से चली आ रही कुरीतियां और ऊंचनीच का भेदभाव बना हुआ है। इस नये भारत में भी मानवता शर्मसार हो रही है। न जाने कब से चला आ रहा जाति का भेदभाव अब तक कायम है। सवर्णों की अकड़ कम नहीं हो रहा है, जिसका खामियाजा बेचारे गरीब दलितों को भुगतना पड़ रहा है।
तमिलनाडु में एक शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। इस घटना की तस्वीर हृदयविदारक है। अपने ही देश में अपने ही लोग अपनों के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? क्या उनके भीतर मानवता रंचमात्र भी नहीं बची है।
तमिलनाडु के वेल्लोर जिले के वनियमबाडी में सवर्णों द्वारा दलितों को अपनी जमीन से गुजरने का रास्ता नहीं दिया। मजबूरी में दलितों को अपने परिजन के शव को 20 फीट ऊंचे पुल से नीचे गिराकर अंतिम संस्कार करना पड़ा।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक यह घटना 17 अगस्त को हुई, लेकिन इसका वीडियो बुधवार 21 अगस्त को सामने आया।
3.46 मिनट के इस वीडियो में दलितों का एक समूह टिकटी पर बंधे शव को रस्सियों के सहारे एक पुल से नीचे उतार रहा है। नीचे कुछ लोग खड़े हैं जो इसे पकड़ते हैं। ये लोग शव को उठाकर अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाते हैं।
पुलिस के मुताबिक यह शव एन. कुप्पन (55) का है, जिनकी 17 अगस्त को मौत हो गयी थी। ये लोग शहर की आदि द्रविड़ार कॉलोनी में रहते हैं। मालूम हो तमिलनाडु में दलितों को आदि द्रविड़ार कहा जाता है।
पुलिस ने बताया-बारिश होने की वजह से नारायणपुरम आदि द्रविड़ार कॉलोनी के लोगों का श्मशान घाट की स्थिति सही नहीं है। इसलिए वे लोग पलार नदी के किनारे बने पुराने श्मशान घाट जा रहे थे। इस श्मशान घाट तक पहुंचने के लिए उन्हें एक खेत से गुजरना होता, जो सवर्ण हिंदुओं का था।
The garlands fall off the dead body as the stretcher is lowered. No dignity in death for Kuppan, a Dalit man from Vellore. His body cannot be taken on the road to the crematorium other dominant castes use. Details here- https://t.co/kg9qIXcG1O pic.twitter.com/7SpJaY5AOA
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) August 22, 2019
अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मृतक कुप्पन के परिजनों ने आरोप लगाया कि जिस रास्ते से दलित शव लेकर जाते हैं उस रास्ते को सवर्णों द्वारा घेर दिया गया है, जिसके चलते दलित समुदाय के लोग वहां से अपने परिजनों का शव अंतिम संस्कार के लिए नहीं ले जा पाते।
कुप्पन के भतीजे विजय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम लोग जिस शमशान घाट का इस्तेमाल करते हैं, वहां जाने में काफी परेशानी आती है। यह समस्या आज की नहीं बल्कि 20 साल पुरानी है। वह जमीन सवर्ण जाति के लोगों की है और वे हमें शव लेकर वहां से आने नहीं देते। सवर्णों का अलग श्मशान घाट है, जिसका हम लोग इस्तेमाल नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि आज से 15 साल पहले जब यह पुल नहीं था, तब हम शव को सीधे नदी में बहा देते थे। रास्ता सवर्णों जाति के लोगों की जमीन पर अब हम इसे पुल से नीचे लटकाकर इसका अंतिम संस्कार करने ले जाते हैं। सालों से हमने जिले के कई अधिकारियों से इस बारे में अपील की, लेकिन कुछ हुआ नहीं।
इस मामले में तिरूपथर की सब-कलेक्टर प्रियंका पंकजम ने कहा कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। हमे इस बारे में 21 अगस्त की शाम को मालूम चला। अगर कोई भी दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वीडियो आने के बाद दलितों को मिला नया श्मशान घाट
फिलहाल वेल्लोर जिला प्रशासन इस वीडियो के सामने आने के बाद जाग गया है। प्रशासन ने दलित समुदाय के लोगों को अंतिम संस्कार करने के लिए आधा एकड़ जमीन आवंटित किया है।
मीडिया से बातचीत में सब-कलेक्टर प्रियंका पंकजम ने बताया कि स्थानीय प्रशासन द्वारा एक सामुदायिक जमीन का आधा एकड़ हिस्सा दलित लोगों के अंतिम संस्कार के लिए आवंटित कर दिया गया है।
प्रियंका ने कहा कि-हमने मामले की पड़ताल की है। दलित समुदाय के लोगों और उन जमीन मालिकों से, जिन्होंने कथित तौर पर नदी के किनारे की जमीन तक जाने का रास्ता रोका था, से पूछताछ की। उन लोगों ने बताया है कि उनके बीच वहां से शव लेकर निकलने को लेकर कोई झगड़ा नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा कि दलित समुदाय के लोगों की अपील थी कि उन्हें अलग श्मशान घाट चाहिए। वे यह बात हमें बता सकते थे, हम फौरन उन्हें जमीन आवंटित कर देते, क्योंकि दाह संस्कार या दफनाने की जगह देना हमारी प्राथमिकता में है।
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