धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। जीएसटी लागू होने के बाद यूपी में वैट समाप्त कर दिया गया है। लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2016- 17 और 2017- 18 के वैट से संबंधित पुराने केस की सुनवाई और फार्म स्वत: कर निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए विभाग की ओर से व्यापारियों को नोटिस मिलने पर केस की सुनवाई होती है।
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अब वैट की फाइल क्लोज कराने के लिए नहीं करना है नोटिस का इंतजार, जीएसटी के साथ ही वैट के लोड को देखते हुए विभाग की तरफ से की गई है व्यवस्था
जीएसटी के साथ ही वैट के लोड को देखते हुए एडिशनल ग्रेड-1 कॉमर्शियल टैक्स एके राय ने बगैर नोटिस ही व्यापारियों को अपने वैट की फाइल क्लोज कराने और सुनवाई पूरी कराने का मौका दिया है। अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है कि वे व्यापारियों की समस्या सुनें और जल्द से जल्द वैट की फाइल को क्लोज कराएं।
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पहले वैट में स्वत: कर निर्धारण की प्रक्रिया में गड़बड़ी होने पर व्यापारियों को फार्म 52 भरना पड़ता है। इसके बाद सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी व्यापारी को 45-13 की नोटिस जारी करते हैं।
व्यापारी पहुंच कर सेटलमेंट कराते हैं। लेकिन अब व्यापारियों को सेटलमेंट के लिए नोटिस का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। बिना नोटिस के भी सुनवाई होगी।
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अब व्यापारियों की भी जिम्मेदारी है कि वे नोटिस का इंतजार किए बगैर कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट पहुंचे और खंड अधिकारी, एसी, डीसी, टीसी से मिलकर अपने वैट के केस का निस्तारण कराएं। अगर व्यापारी केस की सुनवाई नहीं कराते हैं तो एकपक्षीय कार्रवाई हो सकती है।
अगले फाइनेंशियल ईयर में व्यापारियों और अधिकारियों पर वैट का प्रेशर न हो, इसलिए व्यापारी को विशेष सुविधा दी जा रही है।
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए कोई जमानत राशि जमा करने की जरूरत नहीं है, जबकि वैट में जमानत राशि जमा कराया जाता था। जिन व्यापारियों ने वैट में जमानत राशि जमा की है, उन्हें अपनी जमानत राशि वापस लेने की सुविधा दी जा रही है। इसके लिए व्यापारी को अप्लीकेशन देना होगा। यदि वैट में उसका कोई बकाया नहीं है, तो उसे जमानत राशि वापस मिल जाएगी।
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व्यापारियों के साथ ही विभाग के अधिकारियों पर इस समय जीएसटी और वैट दोनों का प्रेशर है। वैट की फाइल जल्द से जल्द क्लोज हो जाए, इसलिए व्यापारियों को विशेष सुविधा दी जा रही है। अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है कि वे व्यापारियों की पूरी मदद करें।
- ए.के. राय, एडिशनल कमिश्नर-ग्रेड-1, कॉमर्शियल टैक्स