सैय्यद मोहम्मद अब्बास
90 के दशक में भारतीय टीम कुछ खिलाड़ियों के इर्द-गिर्द घूमती थी। उस दौर में अजहर, जडेजा और सचिन ये वो तीन नाम थे, जिनके बल पर भारतीय टीम जीत के रथ पर सवार होती थी। हालांकि 90 के दशक में सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेट की सबसे मजबूत कड़ी के रूप में सामने आ चुके थे। सचिन का बल्ला रनों की बारिश कर रहा था, इस वजह से उनकी टीम में जगह पक्की हो चुकी थी। टीम इंडिया सचिन के सहारे स्वर्णिम कामयाबी हासिल करती नजर आई।
90 का दशक जैसे-जैसे आगे बढ़ा वैसे-वैसे कई बड़े खिलाड़ी टीम में आए और आगे चलकर नया प्रतिमान स्थापित किया। सचिन के बाद सौरभ गांगुली और राहुल द्रविड़ ने भी अजहर की कप्तानी में शानदार प्रदर्शन किया। बाद में दोनों ही खिलाडिय़ों को भारतीय टीम की कमान सौंपी गई। अजहरुद्दीन की कप्तानी में सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण, सौरभ गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाडिय़ों ने शानदार प्रदर्शन किया।
सौरभ गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया। ‘दादा’ आज (8 जुलाई) 52 साल के हो गए। सौरभ गांगुली की बल्लेबाजी बेहद शानदार थी। दरअसल गांगुली ऑफ साइड पर कवर ड्राइव लगाते थे उसे देखकर हर कोई रोमांचित हो जाता था। इस वजह से उन्हें ऑफ साइड का भगवान कहा जाने लगा। सौरभ गांगुली एक सफल सलामी बल्लेबाज के साथ-साथ एक शानदार कप्तान भी थे।
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सौरभ गांगुली की कप्तानी में नेटवेस्ट सीरीज में भारतीय टीम ने शानदार जीत दर्ज की थी। नेटवेस्ट सीरीज का जिक्र होता है तो लॉर्ड्स की बालकनी में इंडियन कैप्टन ने अपनी टी-शर्ट उताराने की घटना याद आ जाती है।
13 जुलाई 2002 को इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर भारत ने इंग्लैंड को हराया था। जीत के फौरन बाद मैदान में मानो बिजली-सी दौड़ गई, एंड्रयू फ्लिंटॉफ तो हताश होकर पिच पर ही बैठ गए थे और दूसरी ओर टीम इंडिया के कप्तान सौरभ गांगुली ने टी-शर्ट उतारकर सबको हतप्रभ कर दिया था।
बुरे दौर में संभाली थी टीम इंडिया की कमान
दादा ने जब भारतीय टीम की कप्तानी संभाली तब भारतीय क्रिकेट बुरे दौर से गुजर रहा था। मैच फिक्सिंग का जिन्न बाहर आ चुका था और कई खिलाड़ी इसमें फंसकर अपना करियर तबाह कर चुके थे लेकिन इस कठिन समय में दादा ने भारतीय क्रिकेट को आसानी से बाहर निकाल लिया था।
उन्होंने अपने शानदार नेतृत्व के बल पर टीम इंडिया को विदेशी पिचों पर जीतना सिखाया। इतना ही नहीं ये दादा ही थे जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया व इंग्लैंड जैसी टीम को उनके घर में चुनौती दी थी।
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अजहर ने बताया ऐसे बने दादा बड़े कप्तान
पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने हाल में सौरभ गांगुली को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि दादा बिलकुल भी अनुशासनहीन नहीं थे, वो बेहद ही अच्छे इंसान थे। वो सभी की इज्जत करते थे और इसीलिए वो इतने बड़े कप्तान बने। यही एक बड़े कप्तान की पहचान होती है। अजहरुद्दीन ने कहा था कि दादा काफी टैलेंटेड थे। मुझे लगता है कि उन्होंने दो-तीन पारियां ही खेली थी, लेकिन जब उनका समय आया तो बेस्ट ओपनर बने।
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दादा को हमेशा आक्रमक कप्तान के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन से लेकर ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज कप्तान स्टीव स्मिथ जैसे बड़े कप्तानों को मैदान पर टॉस के लिए इंतजार कराया है..
दादा का नहीं था शानदार डेब्यू
1992 में डेब्यू करने वाले गांगुली ने शुरुआती मैचों में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सके थे। इस वजह से उनको टीम इंडिया से बाहर का रास्ता दिखा गया था लेकिन इसके बाद उन्होंने शानदार वापसी की। इतना ही नहीं डेब्यू टेस्ट में शतक जड़कर सबको चौंका डाला। साल 1996 भारतीय टीम अजहर, सचिन, जडेजा, नवजोत सिंह सिद्धू, संजय मांजरेकर जैसे बल्लेबाजों पर आधारित रहती थी लेकिन 1996 में ये तस्वीर बदलने लगी थी। नवजोत सिंह सिद्धू बीच में ही इंग्लैंड का दौरा छोड़ कर भारत लौट आये थे। ऐसी स्थिति में लग रहा था कि टीम इंडिया की बल्लेबाजी कमजोर हो गई है लेकिन इसके बाद अजहर ने सौरभ गांगुली को अंतिम 11 में उतारने का फैसला किया। अजहर का यह फैसला बेहद कामयाब रहा। दादा ने इस टेस्ट में शतक जड़ा और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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दादा की कप्तानी में कई खिलाड़ी चमके
सौरभ गांगुली की कप्तानी में कई खिलाड़ी चमके हैं। दादा की युवा टीम 2003 विश्व कप के फाइनल तक पहुंच गई थी। इस दौर में युवी, कैफ,सहवाग, हरभजन, जहीर जैसे खिलाडिय़ों ने भारतीय क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनायी। इन्हीं खिलाडिय़ों के बल पर भारत ने पाकिस्तान में जाकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। गांगुली के कहने के बाद ही 2004 में धोनी का आगमन भारतीय क्रिकेट में हुआ था
गांगुली ने द्रविड़ से क्यों करायी विकेटकीपिंग
2002 से लेकर 2004 के बीच द्रविड़ ने बतौर विकेटकीपर/ बल्लेबाज भारतीय टीम में शामिल किया गया था। गांगुली की कप्तानी में यह फैसला लिया गया। इतना ही नहीं साल 2003 विश्व कप में भी दादा ने राहुल द्रविड़ से विकेटकीपिंग करायी थी। दरअसल सौरभ गांगुली मैदान पर सात बल्लेबाजों के साथ उतरना पसंद करते थे। इस वजह से राहुल द्रविड़ को बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज उतराते थे। द्रविड़ की वजह से कैफ को बतौर सातवें बल्लेबाज के तौर पर शामिल किया जात था।
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चैपल से हुआ था विवाद
सौरभ गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया अच्छा प्रदर्शन कर रही थी लेकिन चैपल के कोच बनते ही दादा की टीम बिखर गई। दरअसल सौरभ गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच विवाद हो गया था और इस वजह इसका असर भारतीय क्रिकेट पर पड़ा।
साल 2005 में जॉन राइट के बाद ग्रेग चैपल को भारतीय टीम को कोच बनाया गया था। कहा जाता है कि उन्हें कोच बनाने में सौरभ गांगुली का रोल था।जिम्बाब्वे दौरे पर दोनों के बीच में तनातनी बढ़ गई थी। दौरा खत्म होने के बाद ग्रेग चैपल ने बीसीसीआई को ईमेल लिखकर दादा पर निशाना साधा था।
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- इंग्लैंड के खिलाफ 1996 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया
- गांगुली ने भारत के लिए 113 टेस्ट मैचों में 42 से ज्यादा की औसत से 7212 रन बनाए
- 16 शतक शतक जड़े
- 311 वनडे मैचों में उन्होंने 11363 रन ठोके
- वनडे में भी 22 शतक लगाए
- वनडे में 100 और टेस्ट में 32 विकेट लिये