न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए आज रविवार को सांतवें और अंतिम चरण का मतदान शुरू हो चुका है। इस चरण में उत्तर प्रदेश में 13 सीटों के लिए 11 जिलों में वोट डाले जा रहे हैं। इस फेज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर समेत 13 लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहे हैं।
गौरतलब है कि बीजेपी 2014 आम चुनाव में इन सीटों पर जीत हासिल किया था। हालांकि, इस बार बीजेपी के सामने चुनौतियां ज्यादा बड़ी हैं।सातवें चरण में पूर्वांचल के महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चन्दौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज में वोटिंग होगी।
वाराणसी में बीजेपी बनाम गठबंधन
मानव इतिहास के प्राचीनतम शहरों में शुमार किए जाने वाले वाराणसी का अपना सुनहरा इतिहास रहा है और धार्मिक रीति-रिवाज के मामले में इस शहर की कोई सानी नहीं है। देश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट वाराणसी में बीजेपी की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी उम्मीदवार हैं। उनको टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने अजय राय को मैदान में उतारा है। इसके अलावा गठबंधन ने शालिनी यादव अपना कैंडिडेट बनाया है।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें बनारस लोकसभा सीट का इतिहास
गोरखपुर में बीजेपी बनाम गठबंधन
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट गोरखपुर से बीजेपी ने रवि किशन शुक्ला को मैदान में उतारा है। गठबंधन ने सपा नेता रामभुआल निषाद को उम्मीदवार बनाया। वहीं, कांग्रेस ने मधुसूदन तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। गोरखपुर लोकसभा सीट पर तकरीबन 19.5 लाख वोटर हैं, जिसमें निषाद, मल्लाह और बिंद जातियों के वोटरों की अच्छी खासी तादाद है। इस सीट पर इन जातियों के तकरीबन 3.5 लाख वोटर है।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें गोरखपुर लोकसभा सीट का इतिहास
महाराजगंज में बीजेपी बनाम गठबंधन
गोरखपुर के पड़ोस की इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार और वर्तमान सांसद पंकज चौधरी राष्ट्रवाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता के सहारे एक बार फिर से जनता के बीच हैं, तो सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी कुंवर अखिलेश सिंह जातीय समीकरण की बुनियाद पर जीत का दम भर रहे हैं। महाराजगंज के पूर्व सांसद हर्षवर्धन की पुत्री और टीवी पत्रकारिता का नामी चेहरा रह चुकीं सुप्रिया कांग्रेस के टिकट पर पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश में हैं, जिसके बाद यहां का मुकाबला त्रिकोणीय बनाता दिख रहा है।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha election : जानें महाराजगंज लोकसभा सीट का इतिहास
बांसगांव में बीजेपी बनाम गठबंधन
गोरखपुर की तरह ही जिले की यह दूसरी लोकसभा सीट भी बीजेपी के लिए आसान मानी जाती रही है। आजादी के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर पांच बार बीजेपी का कब्जा रहा है। बीजेपी के मौजूदा प्रत्याशी कमलेश पासवान इस बार जीत की हैट्रिक बनाने के लिए मैदान में उतरे हैं। गठबंधन ने बसपा के सदल प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, बांसगांव लोकसभा सीट पर नामांकन करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी कुश सौरभ समेत इस सीट से सात के पर्चे खारिज हो गए हैं।
यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव 2019: बांसगांव लोकसभा सीट का इतिहास
कुशीनगर बीजेपी बनाम गठबंधन
कुशीनगर भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वान स्थली के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने पांचवी बार आरपीएन सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। आरपीएन सिंह यूपीए-2 की सरकार में सड़क ट्रांसपोर्ट एवं कॉर्पोरेट मंत्रालय में राज्यमंत्री और पेट्रोलियम व गृह राज्यमंत्री रहे थे। 2009 में सांसद चुने जाने के पहले आरपीएन सिंह कुशीनगर जनपद की पडरौना विधानसभा सीट से 1996, 2002 और 2007 में तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके हैं।
दूसरी तरफ भाजपा ने लोकसभा के लिए पूर्व विधायक विजय दूबे को प्रत्याशी बनाया है। विजय दूबे का राजीनीतिक इतिहास कोई बहुत बड़ा नहीं रहा है लेकिन वह योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं। वहीं सपा-बसपा गठबंधन ने नथुनी कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया गया है। नथुनी कुशवाहा शिक्षा क्षेत्र से जुड़े नेता हैं। नथुनी कुशवाहा आरएसएस के स्वयंसेवक भी रहे हैं।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें कुशीनगर लोकसभा सीट का इतिहास
देवरिया में बीजेपी बनाम गठबंधन
महान संत देवरहा बाबा की धरती देवरिया लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने नियाज अहमद को अपना कैंडिडेट बनाया है। इसके अलावा गठबंधन ने देवरिया लोकसभा सीट से बीएसपी के बीके जायसवाल को खड़ा किया है।
देवरिया में रमापति राम त्रिपाठी के पक्ष में ब्राह्मण एकजुट हैं। वहीं कुछ महीने पहले संत कबीर नगर से बीजेपी के ब्राह्मण सांसद शरद त्रिपाठी ने अपनी ही पार्टी के ठाकुर एमएलए की जूते से जो पिटाई की थी उसकी गूंज दोनों ही निर्वाचन क्षेत्रों में अब तक सुनाई दे रही है। कांग्रेस प्रत्याशी नियाज अहमद और गठबंधन के प्रत्याशी बीएसपी के बीके जायसवाल मुस्लिम वोटों से उम्मीद लगाए बैठे हैं। ऐसे में यहां की लड़ाई भी काफी रोचक है।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें देवरिया लोकसभा सीट का इतिहास
सलेमपुर में बीजेपी बनाम गठबंधन
सलेमपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के दो जिलों बलिया और देवरिया के कुछ हिस्सों से मिलाकर बनी है। सलेमपुर को प्रदेश के सबसे पुराने तहसील हेडक्वार्टर के रूप में जाना जाता है। ब्रिटिशकाल में तहसील के रूप में इसकी स्थापना 1939 में हुई थी। गठबंधन की तरफ से बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्र पर दांव लगाया है। बीजेपी ने मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा पर ही दांव खेला है।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें सलेमपुर लोकसभा सीट का इतिहास
घोसी में बीजेपी बनाम गठबंधन
भारतीय जनता पार्टी ने घोसी से हरिनारायण राजभर को अपना प्रत्याशी बनाया है। गठबंधन ने इस सीट पर अतुल राय को अपना उम्मीदवार बनाया है। हालांकि इस समय अजय राय के सामने एक और बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। अजय एक छात्रा के रेप के आरोप में फरार हैं। उन्हें कई थानों की पुलिस टीम खोज रही है। चुनाव से पहले प्रत्याशी के फरार होने से गठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं, हालांकि संगठन को जातीय समीकरण के सहारे नैया पार लगने की उम्मीद है। कांग्रेस ने घोसी संसदीय सीट से पूर्व सांसद बाल कृष्ण चौहान को उम्मीदवार बनाया है।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें घोसी लोकसभा सीट का इतिहास
बलिया में बीजेपी और गठबंधन में है सीधी टक्कर
यूपी में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के बाद से बलिया लोकसभा सीट पर बीजेपी और विपक्षी एकता की सीधी टक्कर होने के आसार नजर रहे हैं। इस बार के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त को लेकर वर्तमान सांसद भरत सिंह के समर्थकों ने बगावत का तेवर अख्तियार किया है। उधर, एसपी-बीएसपी गठबंधन ने समाजवाद की जड़ें मजबूत करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कुनबे से अलग पूर्व विधायक सनातन पांडेय पर दांव चलकर लोगों को चौंकाया है।
जिताऊ उम्मीदवार खोजने की कसरत के बाद कांग्रेस ने यह सीट अपने सहयोगी दल जन अधिकार पार्टी को दी थी लेकिन उसके प्रत्याशी अमरजीत यादव का पर्चा खारिज हो गया। अब यहां महागठबंधन और बीजेपी में सीधा मुकाबला है। लेकिन भीतरघात की आशंका ने बीजेपी और महागठबंधन उम्मीदवारों की नींद उड़ाई है।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें बलिया लोकसभा सीट का इतिहास
गाजीपुर में कांग्रेस प्रत्याशी ने मुकाबले को बनाया रोचक
इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार मनोज सिन्हा के खिलाफ गठबंधन की ओर से अफजाल अंसारी उम्मीदवार हैं। कांग्रेस के टिकट पर अजीत कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं. गाजीपुर में भी बीजेपी और गठबंधन में ही लड़ाई नजर आ रही है।
पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल 2004 से 2009 तक यहां से सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर सर्वाधिक संख्या यादव मतदाताओं की है और उनके बाद दलित एवं मुस्लिम मतदाता हैं।
यादव, दलित एवं मुस्लिम मतदाताओं की कुल संख्या गाजीपुर संसदीय सीट की कुल मतदाता संख्या की लगभग आधी है। गठबंधन का यही समीकरण सिन्हा के लिए चुनौती है।
हालांकि भाजपा को उम्मीद है कि यहां अफजाल अंसारी के बसपा का उम्मीदवार होने से यादव मतदाताओं का एक हिस्सा मनोज सिन्हा की तरफ हो सकता है क्योंकि अखिलेश और अंसारी बंधुओं के बीच रिश्ते अच्छे नहीं माने जाते।
कांग्रेस के टिकट पर अजीत कुशवाहा के उतरने से भाजपा के लिए थोड़ी राहत हो सकती है। इस सीट पर डेढ़ लाख से अधिक बिंद, करीब पौने दो लाख राजपूत और लगभग एक लाख वैश्य भी हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें गाजीपुर लोकसभा सीट का इतिहास
चन्दौली में कांटे का मुकाबला
चंदौली लोकसभा सीट से भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने 2014 में बसपा प्रत्याशी अनिल कुमार मौर्या को 156756 मतों से हराया था।
सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से सपा ने नए प्रत्याशी संजय चौहान को मैदान में उतार कर नया दांव खेला है। कांग्रेस की ओर से चंदौली लोकसभा सीट से बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा चुनाव मैदान में है। इससे यहां कांटे का मुकाबला होने की संभावना है।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election : जानें चंदौली लोकसभा सीट का इतिहास
मिर्जापुर में बीजेपी और कांग्रेस में टक्कर
मिर्जापुर की सांसद केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार ललितेश पति त्रिपाठी से है। सपा-बसपा गठबंधन में सपा ने रामचरित्र निषाद को मैदान में उतारा है। बता दें कि सपा ने यहां पर पहले राजेंद्र सिंह बिंद को प्रत्याशी बनाया था. 2014 में अनुप्रिया पटेल ने बसपा की समुद्रा बिंद को 219079 मतों से हराया था।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election: जानें मिर्जापुर लोकसभा सीट का इतिहास
रॉबर्ट्सगंज में कांटे की टक्कर
राबर्ट्सगंज (सु.) सीट भाजपा से समझौते के तहत यह सीट अपना दल (सोनेलाल) को मिली है। अपना दल (सोनेलाल) ने यहां से पकौड़ी लाल कोल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा-बसपा गठबंधन से सपा ने भाईलाल कोल को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भगवती प्रसाद चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। 2014 में भाजपा प्रत्याशी छोटेलाल ने बसपा प्रत्याशी शारदा प्रसाद को 190486 मतों से हराया था।
यह भी पढ़ें: Lok Sabha Election : जानें राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट का इतिहास