जुबिली डेस्क
बैंक जितनी मेहनत लोन बांटने के लिए करते हैं उतनी शायद वसूलने के लिए नहीं कर पाते। शायद इसीलिए बैंक भारी संख्या में लोन न चुकाने वालों के कर्ज को ठंडे बस्ते में डाल रही है।
विजय माल्या 9 हजार करोड़ और नीरव मोदी 14 हजार करोड़ का कर्ज लेकर फरार हो गए तो बैंकों द्वारा अप्रैल 2014 से लेकर अब तक में कुल 5,55,603 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किया गया है। और तो और बैंक और न ही आरबीआई ये जानकारी दे रही है कि आखिर ये कौन लोग हैं जिनके इतने लोन राइट ऑफ किए गए हैं।
बैंकों की डूबती कश्ती को किनारे लगाने के लिए मोदी सरकार कई बार करदाताओं के पैसों को बैंकों को दिया है, लेकिन वहीं बैंक कर्ज देकर वसूली न कर पाने की दशा में लोन राइट ऑफ कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक-
राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किए गए कुल लोन का करीब 80 फीसदी हिस्सा पिछले पांच सालों में (अप्रैल 2014 से) राइट ऑफ किया गया। अप्रैल 2014 से लेकर अब तक में कुल 5,55,603 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया गया है।
जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-2019 के दौरान बैंकों ने दिसंबर 2018 में ही 1,56,702 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किया है। इस हिसाब से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों में सात लाख करोड़ से ज्यादा के बैड लोन को राइट ऑफ किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बैड लोन या गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की संख्या कम दिखाने की जल्दबाजी में बैंकों ने 2016-17 में 1,08,374 करोड़ और 2017-18 में 1,61,328 करोड़ का लोन राइट ऑफ किया। वहीं वित्त वर्ष 2018-2019 को पहले छह महीने में 82,799 करोड़ और अक्टूबर-दिसंबर 2018 के बीच में 64000 करोड़ का लोन बट्टïे खाते में डाला है।
क्या है बट्टा खाता
मालूम हो कि बैंक उन कर्जों को बट्टा खाते में डालती है जिनकी वसूली करना उनके लिए मुश्किल होता है। बैंको का दावा है कि लोन को राइट ऑफ किए जाने के बाद भी कर्ज वापस करने पर दबाव डाला जाता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक 15-20 फीसदी से ज्यादा के लोन की वसूली नहीं हो पाती है, जबकि आरबीआई ने बैंकों को जारी एक सर्कुलर में कहा था कि वसूली की सभी संभावित कोशिश करने के बाद ही लोन को राइट ऑफ किया जाना चाहिए, लेकिन साल दर साल बट्टा खाते में डाले गए लोन का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।