Thursday - 31 October 2024 - 1:26 AM

बैंक विलय से भड़का AIBOC

जुबिली पोस्ट ब्यूरो

लखनऊ। बैंकों के विलय से बैंकों एवं समाज को भी क्षति पहुंचना तय है। इसका सीधा असर देश की मध्यम वर्ग की जनता पर पड़ेगा, यह विचार आज स्टेट बैंक मुख्य शाखा में आयोजित एक प्रेस वार्ता में आयबॉक के महासचिव काम. दिलीप चौहान ने तीन बैंकों के विलय के संदर्भ में कही।

उन्होंने कहा कि आयबॉक द्वारा आज पूरे देश में विजया बैंक, देना बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय का विरोध करते हुए विरोध दिवस मनाया। जिसके अंतर्गत बैंक स्टॉफ सदस्यों ने बैज, पर्चे एवं पोस्टर आदि बांटकर विरोध प्रदर्शित किया।

चौहान ने इस मौक पर कहा कि बैंको के विलय की घोषणा 17 सितंबर 2018 को सारे नियम व संसद को ताख पर रखकर किया गया। आज देश के मध्यम वर्ग के रोजगार का मुख्य साधन, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक रहे है।

काम. दिलीप चौहान ने आगे बताया कि आईबीए पिल्लई कमेटी की संस्तुतियों पर भी ध्यान नहीं दे रही है जिसमें स्पष्टï कहा गया है कि बैंक अधिकारियों का वेतन सिविल सर्विसेज ऑफिसर के समान वेतन होना चाहिए। वित्त मंत्रालय ने 12 जनवरी 2016 को आईबीए को निर्देश दिये थे कि बैंकों में वेतन समझौते पर शीघ्र वार्ताकर इसे 1 नवंबर 2017 से लागू किया जाय परन्तु 26 महीने बीते जाने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला।

उन्होंने बताया कि हमारे मांग पत्र में न्यूनतम वेतन, एनपीए वसूली, नई पेंशन स्कीम को समाप्त करना, पेंशन अद्यतन पुनरीक्षण करना एवं पारिवारिक पेंशन में सुधार तथा तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों व ग्रामीण बैंकों के विलय का विरोध के साथ बैंक अधिकारियों पर पूरे देश में हो रहे हमले समेत कई मुद्दे शामिल हैं।

आयबॉक की तरफ से सोमवार को लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता के जरिया बताया की यह पहला मौका है जब देश में तीन बैंकों का विलय हो रहा है। इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 पर आ जाएगी। संघठन के प्रेजिडेंट पवन कुमार ने कहा की आयबॉक कैथोलिक सीरियन बैंक में उनके प्रबंधन द्वारा की जा रही ज्यादती का भी मैं विरोध करता हूँ।

उनका प्रबंधन अधिकारियो की सेवानिवृत  की उम्र 60 से 58 साल तथा सेवानिवृत के समय चार्जशीट देना और उन्हें प्रताड़ित करने जैसे अनेक तरीके अपना रहा है, इसके विरोध में 2 अप्रैल को संघठन ने हड़ताल का फैसला लिया है। आयबॉक इसका समर्थन करेगा। वार्ता में बैंक अधिकारी संगठन के एस.एस. प्रसाद, जी.पी. त्रिपाठी, सौरभ श्रीवास्तव, धनन्जय सिंह, सत्यजीत सिंह, विवेक श्रीवास्तव ने भी बैंकों के विलय पर अपना कड़ा विरोध प्रकट किया।

आज से बैंक ऑफ बड़ौदा के हो गए सभी ग्राहक

RBI के अनुसार, 1 अप्रैल से 2019 से विजया बैंक और देना बैंक के साथ लेनदेन करने वाले सभी ग्राहक बैंक ऑफ बड़ौदा के ग्राहक माने जाएंगे। इस विलय के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा, भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा।

बैंक ऑफ बड़ौदा का बढ़ गया रुतबा

विलय के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा का कुल कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। इस विलय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के पास कुल 9401 बैंक शाखाएं और कुल 13432 एटीएम हो जाएंगे। देश में SBI के 59,291 एटीएम और 18 हजार से ज्यादा शाखाएं हैं। वहीं ICICI के पास 4,867 शाखाएं और 14,367 एटीएम हैं। इस विलय से पहले कामकाज को सुचारू बनाए रखने के लिए सरकार ने बैंक ऑफ बड़ौदा को 5042 करोड़ रुपए दिए हैं।

2017 से शुरु हुआ था विलय का सिलसिला

बैंकों के विलय का सिलसिला एसबीआई बैंक से शुरु हुआ था। सबसे पहले एसबीआई में पांच सहयोगी बैंक और भारतीय महिला बैंक का मर्ज किया जा चुका है। आपको बता दें कि 1 अप्रैल 2017 को एसबीआई में इन बैंकों का विलय हुआ था, जिसके बाद SBI दुनिया के 50 बड़े बैंकों की सूची में शामिल हो गया है।

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