न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस न होना भी बैंकों की इनकम और मुनाफे का एक जरिया बन गया है। अकसर लोग अपने सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन करना भूल जाते हैं। लोगों की इसी गलती की वजह से वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों ने ग्राहकों से 1,996 करोड़ रुपए जुर्माने के तौर पर वसूले हैं। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में ये जानकारी दी।
अनुराग ने एक लिखित जवाब में लोकसभा में कहा कि सरकारी बैंकों को पिछले साल के मुकाबले मिनिमम बैलेंस पेनल्टी में गिरावट की एक वजह एसबीआई द्वारा बचत खाते में मिनिमम बैलेंस बरकरार न रखने पर एक अक्तूबर 2017 से कम किया गया जुर्माना भी है।
एसबीआई की ओर से साल 2012 तक मिनिमम बैलेंस न रखने पर जुर्माना वसूला जाता था, जिसे बैंक ने एक अप्रैल 2017 से दोबारा शुरू किया था। लेकिन नोटबंदी के बाद ग्राहकों पर भारी- भरकम जुर्माना वसूलने के विरोध के बाद एसबीआई ने एक अक्टूबर 2017 से जुर्माने की राशि को घटा दिया था।
वित्त वर्ष 2017-18 में 18 सरकारी बैंकों को मिनिमम बैलेंस पेनल्टी के तौर पर 3,368.42 करोड़ रुपए मिले थे, हालांकि एक वर्ष पहले वित्त वर्ष 2016-17 में सरकारी बैंकों ने ग्राहकों से से 790.22 करोड़ रुपए की वसूली की थी।
ठाकुर ने आगे कहा कि बैंक बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट (बीएसबीडी ) अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस बरकरार न रखने पर कोई जुर्माना नहीं लेते हैं। इनमें प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले अकाउंट भी शामिल हैं। आरबीआई के मुताबिक मार्च 2019 तक देश में 57.3 करोड़ बेसिक सेविंग अकाउंट थे, जिनमें से 35.27 करोड़ जनधन खाते थे।