न्यूज डेस्क
आम आदमी को बैंक से लोन लेने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं और वहीं कुछ लोगों को बैंक खुद ही पैसा पहुंचाती है। आम लोगों के लिए बैंक के इतने नियम-कानून है कि वह उसे पूरा नहीं कर पाते और वहीं कुछ लोगों के लिए बैंक अपने नियम ताक पर रख देती है। इसी सब का खामियाजा है कि बैंकों के साथ धोखाधड़ी का मामला बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2018-2019 में बैंकों के साथ हुए धोखाधड़ी के मामलों में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। धोखाधड़ी की राशि 73.8 प्रतिशत बढ़कर 71,542.93 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपेार्ट में दी है।
आरबीआई के रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकिंग क्षेत्र ने 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामलों को रिपोर्ट किया। इससे पहले साल 2017-18 में यह आंकड़ा 5,916 मामलों का था और इसमें धोखाधड़ी की राशि 41,167.04 करोड़ रुपये थी।
साल 2018-19 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिले। इसके बाद निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों का स्थान रहा। रिपोर्ट के अनुसार धोखाधड़ी होने और बैंकों में उसका पता लगने के बीच की औसत अवधि 22 महीने रही है तो वहीं बड़ी धोखाधड़ी के मामलों, यानी 100 करोड़ रुपये से उससे अधिक के धोखाधड़ी के मामलों के होने और उनका पता लगने का समय औसतन 55 महीने रहा है।
इस दौरान 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की राशि 52,200 करोड़ रुपये रही है। सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के मामले अग्रिम राशि से जुड़े रहे हैं।
इसके अलावा कार्ड, इंटरनेट और जमा राशि से जुड़े धोखाधड़ी के भी मामले सामने आए हैं। वर्ष 2018- 19 में कार्ड, इंटरनेट और जमा राशि से जुड़े धोखाधड़ी राशि कुल धोखाधड़ी के समक्ष मात्र 0.3 प्रतिशत रही है।
रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है।
गौरतलब है कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 11 वित्तीय वर्षों में 2.05 लाख करोड़ रुपये की भारी धनराशि की बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए।
वर्ष 2008- 09 में 1,860.09 करोड़ रुपये के 4,372 मामले सामने आए तो वहीं वर्ष 2009- 10 में 1,998.94 करोड़ रुपये के 4,669 मामले दर्ज किए गए। 2015- 16 में 18,698.82 करोड़ रुपये के 4,693 मामले और 2016- 17 में 23,933.85 करोड़ रुपये मूल्य के 5,076 मामले सामने आए।
ये आंकड़े इसलिए उल्लेखनीय है कि क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में बैंक धोखाधड़ी के कई बड़े मामलों सामने आए हैं। इनमें भगोड़ा आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या से जुड़े मामले भी शामिल हैं।
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