पॉलिटिकल डेस्क
बांदा, उत्तर प्रदेश का प्रमुख शहर और लोकसभा क्षेत्र है। इसका जिला मुख्यालय बांदा है। यह चित्रकूट मंडल का हिस्सा है। बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित बांदा में ‘शजर’ के पत्थर पाए जाते है जिनका उपयोग गहने बनाने में किया जाता है। यह क्षेत्र उत्तर में फतेहपुर, पूर्व में चित्रकूट, पश्चिम में हमीरपुर और महोबा और दक्षिण में मध्य प्रदेश के सतना, पन्ना और छतरपुर से घिरा हुआ है। बांदा देश के 250 अति पिछड़े जिलों में शामिल है। इस कारण इसे पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि मिलती है।
यह जिला 4,413 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां की आबादी का मुख्य पेशा खेती है। यहां खरीफ ,रबी और जैैद (ककडी,तरबूज,खरबूजा) हर प्रकार की चीजेे उपजाई जाती है। बांदा में मुख्यत: बुंदेली भाषा बोली जाती है। यहां की संस्कृति और कालिंजर दुर्ग के प्रचार के लिए हर साल सात दिन तक चलने वाला कालिंजर महोत्सव मनाया जाता है।
आबादी/ शिक्षा
बांदा जिले में पांच तहसीलें है जिसमें बांदा, नारैनी, बाबेरु, अतर्रा और पैलानी शामिल है। 2011 की जनगणना के मुताबिक बांदा जिले की आबादी 1,799,410 है जिनमें 965,876 पुरुष और 833,534 महिलाएं है। जिले में प्रति 1000 पुरुषों पर 863 महिलायें हैं।
यहां की साक्षरता दर 66.67 प्रतिशत है, जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 77.78 प्रतिशत जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 53.67 प्रतिशत है। बांदा मुख्य रूप से हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र है। यहां की 91 प्रतिशत आबादी हिन्दू और 8.76 प्रतिशत आबादी इस्लाम में आस्था रखती है।
वर्तमान में बांदा- चित्रकूट जिले में कुल मतदाताओं की संख्या 1,601,855 है जिसमें पुरुष मतदाता की संख्या 884,779 और महिला मतदाता 717,011 हैं। बांदा संसदीय क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की कुल पांच विधानसभा सीटें आती है जिनमें बाबेरु, नारैनी, बांदा, चित्रकूट और माणिकपुर शामिल है। नारैनी की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
राजनीतिक घटनाक्रम
बांदा की लोकसभा सीट अस्तित्व में आने के बाद से ही सामान्य श्रेणी की सीट रही है। 1957 में जब यहां आम चुनाव हुए तब यह सीट यूपी की 30वीं लोकसभा सीट हुआ करती थी। पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस के राजा दिनेश सिंह विजयी रहे।
1962 में दोबारा कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की। 1967 से लेकर 2004 तक अलग- अलग पार्टी के लोग यहां से जीतकर लोकसभा में बांदा का प्रतिनिधित्व करते रहे। जहां 1980 और 1984 में कांग्रेस को इस सीट पर जीत मिली वहीं
1989 में बसपा को। 1991 में इस सीट पर बीजेपी को जीत मिली तो 1996 में बसपा को। 1998 में भाजपा को तो 1999 में बसपा को। 2004 और 2009 में सपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के भैरों प्रसाद मिश्रा सांसद है।