जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई। शिवसेना में इस वक़्त घमासान मचा हुआ है। भले ही वहां पर शिंदे गुट ने किसी तरह से नई सरकार बना ली हो लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में है। शिवसेना किसकी?
इस सवाल पर छिड़ी सियासी और कानूनी जंग के बीच उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट अपने- अपने तरीके से असली शिवसेना का दावा जरूर कर रहे है लेकिन शिवसेना के ‘धनुष और तीर’ के चुनाव चिन्ह को लेकर शिंदे और ठाकरे गुट में जारी खींचतान के बीच भारत के चुनाव आयोग ने बड़ा आदेश दिया था।
चुनाव आयोग ने शिंदे और ठाकरे गुट दोनों को बड़ा झटका दिया था और आयोग ने शनिवार (8 अक्टूबर) को कहा कि अंधेरी पूर्व सीट के उपचुनाव में दोनों समूहों में से किसी को भी शिवसेना (Shiv Sena) के लिए आरक्षित ‘धनुष और तीर’ के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने की इजाजद नहीं दी जाएगी ।
अब इस मामले में नया अपडेट और आया है। दरअसल सोमवार को निर्वाचन आयोग ने सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को नया नाम आवंटित कर दिया। निर्वाचन आयोग ने शिंदे के लिए पार्टी के नाम के रूप में ‘बालसाहेबांची शिवसेना नाम दिया है। ‘बालसाहेबांची शिवसेना पर गौर करे तो ये मराठी नाम है। इसका मतलब होता है बालासाहेब की शिवसेना’। वहीं उद्धव ठाकरे के गुट निर्वाचन आयोग ने बड़ी राहत दी है क्योंकि उद्धव ठाकरे के गुट का नाम ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे दिया और साथ में उद्धव गुट को चुनाव आयोग से ‘मशाल’ चुनाव चिन्ह आवंटित हुआ है। उद्धव गुट ने चुनाव आयोग को जो तीन चिह्न सौंपे थे उनमें से एक चुनाव चिह्न ‘मशाल’ भी था। लेकिन शिंदे गुट को कोई चुनाव चिह्न आवंटित नहीं हुआ है। इस पर उद्धव ठाकरे गुट के नेता भास्कर जाधव ने कहा, हम बहुत खुश हैं, इसे बड़ी जीत मानते हैं।
दूसरी ओर शिंदे गुट को अभी कोई चुनाव चिन्ह नहीं दिया गया है क्योंकि उन्होंने त्रिशूल और गदा को चुनाव चिन्ह मागा था लेकिन आयोग ने उसे खारिज कर दिया।
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बता दे कि शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई के बीच उद्वव ठाकरे को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहले तो उनकी सरकार चली गई और कई लोगों ने उनका साथ छोडऩा शुरू कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उन विधायकों और मंत्रियों को अपना साथ छोड़ते देखना बेहद तकलीफदेह है, जिन्होंने शिवसैनिकों की वजह से जीत दर्ज की और सब कुछ हासिल किया।