जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की राजनीति में कभी मजबूत पकड़ रखने वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) आजकल भारी संकट के दौर से गुजर रही है।
खासकर कानपुर में BSP का संगठन बुरी तरह से लड़खड़ा रहा है। पिछले डेढ़ साल में पार्टी ने यहाँ 8 जिलाध्यक्ष बदल दिए, और अब ताजा घटनाक्रम में BSP ने अपने दो पूर्व जिलाध्यक्षों संजय गौतम और आनंद कुरील को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
BSP के इस दोनों नेताओं पर गिरी गाज
BSP के मौजूदा जिलाध्यक्ष कुलदीप कुमार ने बताया कि संजय गौतम और आनंद कुरील को पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
उन्होंने साफ किया, “इन नेताओं को पहले भी कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन इनके व्यवहार और कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया। पार्टी और मूवमेंट के हित में यह कदम उठाना पड़ा।”
संजय गौतम सिर्फ 2 दिन रहे जिलाध्यक्ष!
BSP सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि संजय गौतम को कुछ दिन पहले ही जिलाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन महज दो दिन के अंदर ही उनसे पद छीन लिया गया।
वहीं आनंद कुरील भी पहले जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और अब दोनों को पार्टी से पूरी तरह बाहर कर दिया गया है।
BSP में अंदरूनी घमासान
BSP का संकट केवल कानपुर तक सीमित नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी में घमासान मचा हुआ है। कभी मायावती के भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित किया जाता है, तो कभी उन्हें अचानक हटा दिया जाता है।
पार्टी के पुराने दिग्गज नेता एक-एक करके BSP को अलविदा कह रहे हैं और दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं, जिससे BSP की अंदरूनी कमजोरी और साफ दिखाई दे रही है।
क्या BSP की पकड़ कमजोर हो रही है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा का यह गिरता संगठनात्मक ढांचा पार्टी के भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।
कानपुर जैसे बड़े शहर में नेतृत्व की इतनी अस्थिरता, और बार-बार जिलाध्यक्ष बदलना, पार्टी की रणनीति और स्थायित्व पर बड़ा सवाल है।
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BSP में कानपुर से लेकर लखनऊ तक, हर स्तर पर उथल-पुथल मची हुई है। बार-बार हो रहे संगठनात्मक बदलाव और नेताओं का पार्टी छोड़ना साफ संकेत देता है कि पार्टी को अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे। नहीं तो 2024 लोकसभा और 2025 यूपी विधानसभा चुनाव में BSP की राह और मुश्किल हो सकती है।