राजीव ओझा
कहीं मोब लिंचिंग, कहीं टाइगर लिंचिंग, कहीं किसी विक्षिप्त की बेरहमी से पिटाई। आगरा में एक हफ्ते में मॉब हिस्टीरिया के चार मामले सामने आये हैं। पिछले 3 अगस्त शनिवार फिर 8 और 9 अगस्त को एक के बाद एक चार मामले हुए जिसमें बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने कुछ युवकों और एक विक्षिप्त पुरुष और महिला को पीट कर अधमरा कर दिया। भला हो पुलिस का जिसकी त्वरित कार्रवाई से इनकी जान बची। लेकिन क्या हर जगह पुलिस इतनी तत्परता से कार्रवाई करती है या उसका मानवीय चेहरा सामने आता है ?
ताजनगरी में बच्चा चोरी की अफवाह
दरअसल ताजनगरी में एक सप्ताह से बच्चा चोरी होने की अफवाह चल रही है। इसी के चलते सबसे पहले 3 अगस्त को आगरा में मास हिस्टीरिया का विकृत रूप देखने को मिला। थाना सैया के लादुखेड़ा चौराहे पर एक महिला के गले में दुपट्टे का पट्टा डाल कर गांव भर में में घुमाया गया, महिला के साथ मारपीट भी की गई। बच्चा चोरी के शक में महिला को भीड़ ने पकड़ा था। राहगीरों की सूचना पर पहुची पुलिस ने भीड़ के चंगुल से महिला को मुक्त कराया।
इसके बाद 8 अगस्त को आगरा के थाना न्यू आगरा अंतर्गत खंदारी चौराहे के पास मऊ रोड पर भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में चार युवकों को पकड़ कर लात-घूंसों से जमकर पीटा गया।
8 अगस्त को ही आगरा के शमसाबाद में एक विक्षिप्त महिला को बच्चा चोर समझ भीड़ पीट रही थी। पुलिस ने उसे चंगुल से छुड़ा लिया। पूछताछ की तो उसकी जुबान से निकले ” भड़ोच” शब्द ने पुलिस को उसके बारे में जानने कि उम्मीद जगी। थानाध्यक्ष अरविंद सिंह ने पूरे दिन इंटरनेट खंगाल न केवल महिला का पता ठिकाना तलाश लिया बल्कि वीडियो कॉल कर उसके भाई से मिला भी दिया।
काश! ऐसी पुलिस हर जगह होती
दरअसल शमसाबाद में यह विक्षिप्त महिला भटक रही थी तभी भीड़ का शिकार बन गई। थाने पहुंचने पर पुलिस ने मानवीयता दिखाई। महिला कांस्टेबलों से कहकर नए कपड़े पहनाए, नाश्ता कराने के बाद बातचीत की। महिला बार बार भड़ोच-भड़ोच बोल रही थी। एसओ ने गूगल पर सर्च करना शुरू किया तो बड़ोच क्षेत्र गुजरात में होने की जानकारी मिली। एसओ शमसाबाद ने इंटरनेट से वहां के कई थानों के नंबर लेकर बात की तो गरुड़ेश्वर थाना प्रभारी जगदीश पटेल ने जानकारी दी कि उनके क्षेत्र में इस सरनेम के लोग रहते हैं। अब एसओ अरविंद सिंह ने व्हाट्सएप पर महिला का फोटो इंस्पेक्टर गरुड़ेश्वर को भेज दिया।
उन्होंने अपने कई ग्रुपों पर फोटो शेयर कर दी। संयोग से वह फोटो महिला के भाई कांता भाई तड़वी के पास पहुंच गई। वह थाना पहुंचे और बताया कि वह उनकी बहन है जो 10 वर्ष पहले पति की दूसरी शादी करने के कारण वह मानसिक रोगी हो गई थी। उनके एक बेटा और बेटी है। मानसिक रोगी होने के बाद वह घर से कहीं चली गई। काफी तलाश के बाद भी उसके बारे में पता नहीं चला। पुलिस ने वीडियो कॉल कराई तो महिला अपने भाई को मोबाइल पर देख कर खुश हो गई. उधर भाई ने भी उन्हें पहचान लिया।
ग्रामीणों ने मंदबुद्धि युवक को अधमरा किया
ऐसा ही एक मामला 9 अगस्त को फतेहाबाद के मुरावल गांव में हुआ। जहां बच्चा चोर समझकर ग्रामीणों ने मंदबुद्धि युवक को जमकर पीटा। पुलिस ने इस मामले में 2 लोगों को लिया हिरासत में लिया है। फतेहाबाद थाना क्षेत्र के फतेहाबाद-फिरोजाबाद मार्ग स्थित मुरावल गांव के पास एक मंदबुद्धि युवक को ग्रामीणों ने बच्चा चोर ग्रामीणों ने मंदबुद्धि युवक को इतनी बेरहमी से इतना पीटा कि उसको गंभीर चोटे आई। दो दिन पूर्व इसी युवक को फतेहाबाद के अवंतीबाई चौराहे पर लोगों ने बच्चा चोर समझकर पकड़ लिया था। मंदबुद्धि युवक को लहूलुहान हालत में पीआरवी पुलिस अपने साथ थाने ले आई और हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया।
यह एक तरह का मोब हिस्टीरिया
कहीं मोब लिंचिंग, कहीं टाइगर लिंचिंग, कहीं किसी विक्षिप्त की बेरहमी से पिटाई। यह एक तरह का मोब हिस्टीरिया है। आखिर भारत ख़ासकर उत्तर प्रदेश में क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले? दरअसल समाज में बढ़ता एकाकीपन और असुरक्षा की भावना के कारण इस तरह की घटनाएँ बढ़ रहीं हैं। कैसा विरोधाभास है 4जी और 5जी युग में अंधविश्वास लोगों के सर चढ़ बोल रहा है।
आपको याद होगा की 2017 इसी तरह छोटी कटवा की अफवाह उत्तर भारत खासकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के ग्रामीण इलाकों में फैली थी। आगरा में तो चोटीकटवा महिला के शक में एक वृद्धा को लोगों ने पीटकर मार डाला था । वेब और टीवी पत्रकारिता के युग में इस तरह की अफवाह सोशल मीडिया में ईंधन का काम करती हैं। मीडिया, खासकर सोशल मीडिया की भूमिका इस तरह में मामलों में महत्वपूर्ण है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)