न्यूज़ डेस्क
एक बार फिर अयोध्या राम जन्मभूमि का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा। दरअसल, अब मुस्लिम पक्ष बाबरी मस्जिद के मलबे की मांग करेगा। इसके लिए बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने का मन बना लिया है।
सुप्रीमकोर्ट में जो याचिका दाखिल की जाएगी उसमें ऐसा कहा जाएगा कि राम मंदिर से पहले जो बाबरी मस्जिद का मलबा गिरेगा उसे मुस्लिमो को दिया जाए। इसके लिए वरिष्ठ वकील राजीव धवन मुस्लिम पक्ष की ओर से पक्ष रखेंगे। इस तहत अगले हफ्ते एक मीटिंग भी की जाएगी।
इस मामले में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी का कहना है कि कमेटी इसे लेकर निर्णय ले चुकी है। इसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भी राय की जरूरत बची है। इस संबंध में बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी से संपर्क करने की कोशिश की गई है, लेकिन चूंकि उनकी तबियत ठीक नहीं है, लिहाजा अभी तक बोर्ड की राय नहीं मिल सकी है।
मस्जिद के मलबे का न हो अनादर
उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि मंदिर निर्माण से पहले ही हम वहां से मलबा हटवा लें। हमारी वकील राजीव धवन से बातचीत हो गई है, बस बोर्ड की सहमति का इंतजार है। शरियत का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि मस्जिद की सामग्री किसी दूसरी मस्जिद या भवन में नहीं लगाई जा सकती। न ही इसका अनादर किया जा सकता है।
ये भी पढ़े : किसानों के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने के लिए सड़क पर उतरी कांग्रेस
कोर्ट ने भी अपने फैसले में मलबे के संबंध में कोई फैसला नहीं दिया है। इसके मलबे और दूसरी निर्माण सामग्री जैसे पत्थर, खंभे आदि को मुसलमानों के सुपुर्द किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा। मलबे के संबंध में कोर्ट के निर्णय में कोई स्पष्ट आदेश नहीं है। ऐसे में मलबे को हटाने के समय उसका अनादर होने की आशंका है।