Friday - 25 October 2024 - 4:14 PM

बाबा प्लीज…पापा से बोलो बाहर जाने दें

न्यूज डेस्क

10 साल की अंजलि ने अपने बाबा को वीडियो कॉल कर उनसे रिक्वेस्ट करते हुए कहा-बाबा प्लीज, पापा से बोलो बाहर खेलने जाने दें। घर में अच्छा नहीं लग रहा है। पापा जाने नहीं दे रहे हैं।

अंजलि अहमदाबाद में रहती है और उनके बाबा उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में। जनता कर्फ्यू वाले दिन सेअंजलि घर में बंद हैं। पहले अपने पापा-मम्मी से बाहर खेलने जाने के लिए रिक्वेस्ट किया, जब उन्होंने उसकी बात नहीं मानी तब बाबा को कॉल कर पापा से कहने के लिए किया। इन दिनों देश के अधिकांश बच्चों की हालत अंजलि जैसी हो गई है।

बच्चों को कोरोना वायरस के बारे में तो पता है लेकिन उसका भयावहता का अंदाजा उन्हें नहीं है। वह बाहर खेलने जाने के लिए मां-बाप से मिन्नत कर रहे हैं। दरअसल उनके लिए यह सबकुछ नया है। बच्चों के लिए ही क्यों सभी के लिए यह एक नया अनुभव है। पूरा देश ठहर गया है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लोग घरों में अपने को बंद किए हुए हैं, लेकिन इससे सबसे ज्यादा कोई परेशान हो रहा है तो वह हैं बच्चे। बच्चों को घर में रोकना मां-बाप के लिए भी चुनौती बन गया है।

अपनी बड़ी बहन के साथ अंजलि।

बच्चों का रूटीन बदल गया है। उनके सोने-जागने का समय बदल गया है। पढ़ाई का बिल्कुल दवाब नहीं है, क्योंकि स्कूलों में नया सेशन शुरु होने वाला है, इसलिए क्लासवर्क-होमवर्क भी नहीं करना है। वह बिल्कुल फ्री हैं। कुछ समय पहले तक टीवी देखने के लिए रिक्वेस्ट करने वाले बच्चों को अब टीवी भी रास नहीं आ रही है, क्योंकि उन्हें टीवी देखने से कोई रोक नहीं रहा है। अब तो वह टीवी से भी उकता रहे हैं। इस लॉकडाउन में बच्चे कैसे अपना समय काट रहे हैं उन्हीं की जुबानी सुनिए-

राजश्री मिश्रा

लखनऊ के गोमतीनगर के एक अपार्टमेंट में रहने वाली 9 साल की राजश्री मिश्रा कहती है-मैं बहुत बोर हो रही हूं। मम्मी-पापा नीचे जाने नहीं दे रहे हैं। सोसाइटी के अंकल लोगों ने मना कर रखा है कि बच्चों को पार्कमें खेलने के लिए। मेरी दीदी मेरे साथ ज्यादा खेलती नहीं। मैं तो अपनी दोस्तो से वीडियो कॉल कर बात करती हूं। चार-पांच घंटे तो बात कर ही लेती हूं।

यश्वी सिंह

अपार्टमेंट में ही रहने वाली यश्वी सिंह कहती है -पार्क में कोई बच्चा खेलने नहीं आ रहा है। हम लोगों की स्कूल से छुट्टी हुई थी। मैंने अपना रूटीन चार्ट बनाया था कि मैं अपने दोस्तों के साथ छुट्टी कैसे एंज्वाय करूंगी। अब तो घर में ही रहना है। अब तो वीडियो कॉल कर दोस्तो से बात करती हूं। वीडियो बनाती हूं। टीवी देखती हूं , फिर भी बोरियत हो रही है। बाहर जाकर बहुत मन करता है खेलने का, पर जा नहीं सकते। कोरोना इंडिया छोड़कर कब जायेगा ?

मानवी

यश्वी के साथ पढऩे वाली उनकी दोस्त मानवी कहती हैं- मैं तो घर में रहते-रहते बोर हो गई हूं। मम्मी कॉरीडोर में भी नहीं जाने देती। बाहर जाने के लिए बोलती हूं तो मम्मी कहती है पढ़ाई कर लो। अब बताइए छुट्टी में कोई पढ़ता है। मेरी छुट्टी भी खत्म हो जायेगी और मैं खेल भी नहीं पाऊंगी। कोरोना को जल्दी से यहां से भगा दीजिए।

विभोद शंकर

लखनऊ के ही विभोद शंकर जो क्लास 4 में पढ़ते हैं, लॉकडाउन होने से वह अपना समय कैसे बिता रहे हैं उन्हीं से सुनिए। वह कहते है मैं टीवी देखता हूं। गेम खेलता हूं। स्टोरी बुक पढ़ता हूं। लूडो खेलता हूं। फोन पर अपनी दादी-बाबा से बात करता हूं। थोड़ी देर पढ़ाई भी करता हूं। फिर भी बहुत समय बच जाता है, जिसमें मैं बोर हो जाता हूं।

यशनील सिंह

यशनील सिंह, जिन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है। वह लॉकडाउन की वजह से क्रिकेट नहीं खेल पा रहे हैं तो ऑनलाइन गेम खेलकर अपना समय बिता रहे हैं। वह घर के काम में भी अपनी मां की मदद भी करते हैं। वह कहते हैं- पहली बार मैं इतने दिन तक घर में रहा हूं। अभी तो बहुत दिन घर में रहना है। दो-तीन दिन बहुत बुरा लग रहा था, पर अब धीरे-धीरे आदत में आ रहा है।

कुहू।

 

दसवी में पढ़ने वाली कुहू, जिनका अभी बोर्ड का एक पेपर बाकी है, लॉकडाउन पर कहती हैं-लॉकडाउन होने से सभी लोग घर में हैं। चूंकि मेरा एक पेपर बाकी है इसलिए मेरे ऊपर पढ़ाई का दबाव है, लेकिन मेरा पढऩे में मन भी नहीं लग रहा। मैं फ्री महसूस नहीं कर पा रही हूं। पता भी नहीं है कि एग्जाम कब होगा। दसवी और बारहवीं के अधिकांश बच्चों का यही हाल है। एक पेपर बाकी होने की वजह से वह अधर में है।

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