सैय्यद मोहम्मद अब्बास
लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। जहां एक ओर बीजेपी दोबारा सत्ता में लौटने के लिए सपने देख रही है तो दूसरी ओर विरोधी भी मोदी को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में यूपी को हमेशा अहम माना जाता है। राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि अगर दिल्ली की गद्दी पर बैठना है तो यूपी का रण जीतना होगा। यूपी के रण में बीजेपी को हराने के लिए सपा और बसपा एक हो गए है जबकि कांग्रेस भले ही अलग-थलग हो लेकिन प्रियंका के सहारे अब भी वह रेस में बनी हुई है।
दूसरी ओर सपा से किनारा कर चुके शिवपाल यादव भी लगातार बीजेपी को हराने की बात कह रहे हैं लेकिन उनको सपा और बसपा दोनों भाव नहीं दे रहे हैं। ऐसे में शिवपाल ने कांग्रेस से जाने के लिए मन बनाया था लेकिन हाथ ने उनसे किनारा कर लिया था। उसके बाद शिवपाल ने पीस पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है।
उन्होंने लोकसभा चुनाव के अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिये हैं। उधर सपा-बसपा भी चुनावी दंगल में अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि मायावती लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं। मायावती के चुनाव न लड़ने के उलट अखिलेश यादव के चुनाव लडऩे की खबर आ रही है। जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में इस बार अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए कदम बढ़ा दिया है। कहने का ये मतलब है कि अखिलेश यादव इस बार आजमगढ़ से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं।
अखिलेश अपने पिता के गढ़ से जीत की चाहत लेकर मैदान में उतर रहे हैं लेकिन अब सवाल यह है कि क्या शिवपाल यादव उनका साथ देंगे। शिवपाल यादव पहले भी कह चुके हैं मुलायम जो चाहेंगे वहीं होगा। इससे पहले आजमगढ़ से मुलायम को जीताने के लिए उनके भाई शिवपाल यादव कड़ी मेहनत की थी लेकिन अब यह अतीत है। अब मुलायम यहां से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
इस वजह से अखिलेश के लिए यहां पर चुनाव जीतना कोई आसान काम नहीं होगा क्योंकि उनके चाचा पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। अब यह भी देखना होगा क्या शिवपाल यादव मुलायम के न लड़नेसे अखिलेश के खिलाफ प्रसपा कोई प्रत्याशी यहां पर उतारते हैं।