राजीव ओझा
परीक्षा की घड़ी निकट है। लेकिन रामपुर में लड़ाई विकट है। वैसे तो प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह दावा कर रहे हैं कि सभी 11 विधान सभा सीटों पर चुनाव बीजेपी ही जीतेगी लेकिन कुछ सीटों पर चुनावी गणित पेंचीदा है। क्या बीजेपी के पास आजम खान के आंसुओं की कोई काट है। आजम वास्तव में सदमें में हैं या यह मतदाताओं पर उनका ‘इमोशनल अत्याचार’ है?
रामपुर में क्यों जार जार रोये आजम खान
राजनीति के इस खेल में सपा ने अपने सबसे मजबूत किले रामपुर से आजम खान की बेगम का पत्ता चला है। डॉ तन्जीन फातमा अभी राज्य सभा सदस्य हैं और उनका कार्यकाल करीब एक साल बचा है। आजम खान केंद्र में चले गये तो रामपुर का किला सम्भालने की जिम्मेदारी उनको सौंपी गई। रामपुर विधान सभा सीट पर मोदी लहर अभी तक अपना असर नहीं दिखा सकी है। इस बार भी तन्जीन फातमा की स्थिति मजबूत मानी जा रही। लेकिन एफआईआर और एसआईटी जाँच से छलनी होकर दुबले हुए जा रहे आजम खान को जब अपनी बेगम के लिए चुनाव सभा का मौका मिला तो वो बार बार रोये।
वक्त वक्त की बात है
वक्त वक्त की बात है कभी अपने इलाके में शेर की तरह दहाड़ने वाले आजम खान अब चुनाव सभा में बात बात पर भावुक हो जाते हैं, आंसू बहते हैं। कभी उनकी भैंस चोरी होने पर पुलिस का अमला हलकान था। अब आजम खान परेशाण हैं कि वही पुलिस उनके खिलाफ बकरी चोरी की रिपोर्ट लिख रही है। आजम खान भाषण देते देते फूट फूट कर रोने लगते हैं। आजम का कहना है कि उनका वजन 22 किलो घट गया। आजम वास्तव में सदमें में हैं या यह इमोशनल वार है। इसका क्या असर हुआ, इसका पता तो 24 अक्टूबर को ही चलेगा।
दूसरी तरफ बीजेपी ने दलबदलू भारत भूषण को मैदान में उतारा है। भारतभूषण 2014 में बसपा को छोड़ कर बीजेपी में आए थे। 2012 भारत भूषण ने बसपा के टिकट पर विधान सभा चुनाव लड़ा था और तीसरे नम्बर पर आए थे। भारत भूषण दल बदलते रहते हैं। उन्होंने राजनीतिक करियर कांग्रेस से शुरू किया था। बीजेपी के लिए रामपुर प्रतिष्ठा की सीट है। 15 अक्टूबर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के उपचुनाव प्रचार में कूदेंगे और तीन दिन में 11 सभाएं करेंगे।
बीजेपी की सबसे कड़ी परीक्षा रामपुर
बीजेपी 11 में से दस सीट जीतना चाहेगी। अगर वह 2017 की अपनी सभी सीटें बचा ले जाती है तो यह पार्टी के लिए संतोषजनक होगा। 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा की लहर में भी यहां आजम को 47.74 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि भाजपा को 25.84 प्रतिशत। यहाँ मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। इस लिए अगर बीजेपी कोई सीट गंवाती है लेकिन रामपुर जीत लेती है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। फिलहाल बीजेपी के लिए रामपुर विधान सभा सीट जीतना अभी भी एक सपना है। अब देखना है कि आजम खान के आंसू और 22 किलो कम हुआ वजन रामपुर में कितना वोट बढ़ने में कामयाब होता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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