Monday - 28 October 2024 - 2:52 AM

आयुष्मान भव असंभव !

धीरेंद्र अस्थाना 

लखनऊ। जब मोदी सरकार ने आयुष्मान योजना की शुरुआत करने का ऐलान किया था तो एक बार को लगा था कि देश में इस योजना से स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति आ जायेगी। कोई गरीब पैसे के अभाव में इलाज से वंचित नहीं रहेगा। इलाज के अभाव में कोई अपने करीबी से नहीं बिछड़ेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।

इस योजना को लांच हुए एक साल हो गया लेकिल हालात जस के तस है। हालत यह है कि बहुत से लोग यही नहीं जान पा रहे कि उन्हें इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा और दूसरे जिनके पास आयुष्मान योजना का कार्ड है वह भी इस योजना का ठीक से लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई खबरें अखबार की सुर्खिया बनी कि फला अस्पताल में आयुष्मान कार्ड धारक से पैसे मांगे गए। ये खबरें इस योजना की पोल खोलने के काफी हैं। अस्पतालों में आयुष्मान मित्र का मिलना और उनसे लाभ ले पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती हैं।

नोएडा के एक परिवार में चार लोग है। उनके परिवार की आय उतनी नहीं है कि वे अपने परिजनों का इलाज किसी प्राइवेट अस्पताल में करवा पाये। ये कब संभव होगा? जब देश के तमाम गरीब परिवार, जिन्हे इलाज के लिए इधर- उधर भटकने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा ।

जब देश में सरकार आयुष्मान भारत जैसी योजना लायी तो मानो गरीबों के चेहरे खिले उठे थे, लेकिन अब इस योजना का दम निकल चुका है। लाभार्थी योजना का लाभ उठाना तो दूर इसके बारे में जानकारी तक नहीं हासिल कर पा रहे है।

सरकार ने आगामी आयुष्मान भारत के कार्यान्वयन के लिए 6,400 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया है। आवंटन सीधे तौर पर महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के लिए केंद्र की मांग की तुलना में लगभग 1,000 करोड़ कम माना गया है।

आगामी वित्तीय वर्ष में इस योजना को लागू करने के लिए लगभग 7,400 करोड़ रुपए की आवश्यकता थी, इसके अलावा अतिरिक्त 10,000 करोड़ की आवश्यकता होगी। लेकिन सच्चाई तो ये है कि जिन गरीबों को इसका लाभ मिलना चाहिए, वे अब तक इससे वंचित ही है। आज देश के गरीब परिवारों को सरकार से इससे कही ज्यादा की जरूरते है।

अंतरिम बजट के दौरान वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक 15 लाख 27 हज़ार मरीजों का उपचार किया जा चुका है। 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कई सरकारी व प्राईवेट अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना की पड़ताल में पता चला है कि आज अस्पतालों में मरीजों को दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है। अस्पतालों में तैनात आयुष्मान मित्र खोजे नहीं मिल रहे है। तो वहीं पात्र लोगों के सामने एक और मुसीबत है कि वे प्राईवेट अस्पतालों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है, यदि कहीं से जानकारी भी मिल रही है तो तमाम कागजी प्रक्रियाओं में गरीबों को उलझाया जा रहा है।

क्या है आयुष्मान योजना

आयुष्मान भारत का मुख्य उद्देश्य ये था कि 2025 तक संपूर्ण भारत को लोगों को रोग मुक्त करके विकास के पथ पर ले जाना है। प्रतिवर्ष 50 करोड़ गरीब परिवारों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाना तथा 5 लाख रुपये तक का मेडिकल बीमा कवर देना है।

इस योजना में देश के 10.74 करोड़ परिवारों को अस्पताल में इलाज कराने का खर्च नहीं देना होगा। परिवार को पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त में कराने की सुविधा होगी। हर परिवार में औसतन 5 सदस्यों के हिसाब से, इस योजना से देश के 50 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हो सकेंगे।

धरातल पर क्या है इस योजना का सच  

आयुष्मान भारत योजना का लाभार्थी अस्पताल में एडमिट होने के लिए कोई चार्ज नहीं चुकाएगा। अस्पताल में दाखिल होने से लेकर इलाज तक का सारा खर्च इस योजना में कवर किया जा रहा है। आयुष्मान भारत योजना के लाभ में अस्पताल में दाखिल होने से पहले और बाद के खर्च भी कवर किये जायेंगे। पैनल में शामिल हर अस्पताल में एक आयुष्मान मित्र है। वह मरीज की मदद करेगा और उसे अस्पताल की सुविधाएं दिलाने में मदद करेगा।

अस्पताल में एक हेल्प डेस्क भी होगा जो दस्तावेज चेक करने, स्कीम में नामांकन के लिए वेरिफिकेशन में मदद करेगा। आयुष्मान भारत योजना में शामिल व्यक्ति देश के किसी भी सरकारी/पैनल में शामिल निजी अस्पताल में इलाज करा सकेगा। ये सारी सुविधाएं आम लोगों को मिलनी थी लेकिन ग्राउंड पर हो इसका उल्ट ही रहा है।

ये होना था, लेकिन हो रहा उलट

पात्र लाभार्थी अचानक अस्पताल पहुंचता है तो वहां की इमरजेंसी में कोई आयुष्मान मित्र नहीं मिलते है जिसकी वजह से सुविधा का लाभ नहीं मिल पता है, आयुष्मान के बारे किसी परिवार ने कोई जानकारी मांगी तो उसको कागजी प्रक्रिया में फंसा दिया जाता है।

पड़ताल के दौरान ये भी पता चला है कि यदि अस्पताल में भर्ती होने की मांग की जाती है तो तीमारदारों को लंबी कहानी बताकर उन्हें दूसरी जगह रिफर कर दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार अस्पताल में भर्ती होने वाले पात्र मरीज के पास आधार कार्ड होना अनिवार्य है और उसके पास गोल्डेन कार्ड होना चाहिए, तभी उसको भर्ती कर अस्पताल इलाज करेगा।

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