जुबिले न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के निलंबन की मांग को लेकर हरियाणा के करनाल में मिनी सचिवालय के बाहर किसानों का धरना जारी है. आयुष का तबादला किया जा चुका है लेकिन किसानों का मानना है कि तबादला सज़ा नहीं होती है और वह बगैर निलंबन की मांग पूरी हुए धरना खत्म करने वाले नहीं हैं.
2018 बैच के आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा ने बतौर करनाल एसडीएम पुलिसकर्मियों को आदेश दिया था कि पुलिस का घेरा तोड़ने वाले किसी भी किसान को बगैर सर फोड़े न गुजरने दिया जाए. एसडीएम के इस निर्देश का वीडियो वायरल होने के बाद किसानों ने अपना आन्दोलन और तेज़ करने की बात कही थी. किसानों ने उन्हें निलंबित करने की मांग की थी. हरियाणा सरकार ने किसान आन्दोलन के बाद 19 अधिकारियों का तबादला किया था. इन्हीं अधिकारियों के साथ आयुष सिन्हा का तबादला भी कर दिया था.
हरियाणा के मुख्य सचिव विजय वर्धन ने हालांकि आईएएस आयुष सिन्हा के बयान को सही नहीं माना था और इस टिप्पणी के लिए सिन्हा का स्पष्टीकरण भी माँगा था. हरियाणा की नौकरशाही ने आयुष सिन्हा द्वारा इस्तेमाल किये गए शब्दों को न सिर्फ गलत माना है बल्कि सिविल सेवक के लिए इसे अशोभनीय भी माना है. इस तरह के आचरण पर राज्य सरकार या केन्द्र सरकार ऐसे अधिकारी को निलंबित करने का आदेश दे सकती है. हरियाणा सरकार ने उनका तबादला तो किया है लेकिन अब तक कोई ऐसा संकेत नहीं दिया है कि उनके खिलाफ किसी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए विचार भी किया जा रहा है.
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आंदोलनों में पुलिस अक्सर बल प्रयोग करती है लेकिन मजिस्ट्रेट का काम पुलिस और आन्दोलनकारियों के बीच बैलेंस करना होता है. करनाल के एसडीएम ने जो किया वह अशोभनीय था. इस अधिकारी ने बताया कि अगर हरियाणा सरकार इस अधिकारी को निलंबित भी कर देती है तो भी साठ दिन से ज्यादा निलंबित नहीं कर पायेगी क्योंकि ऐसे मामलों में साठ दिन के भीतर फैसला करना होता है. एसडीएम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई इसलिए नहीं हो पायेगी क्योंकि वह अशोभनीय बात सही लेकिन पुलिस के सामने कर रहे थे, उन्होंने सीधे किसानों को कोई धमकी नहीं दी थी.
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किसानों ने हरियाणा सरकार के सामने यह साफ़ कर दिया है कि वह इस अधिकारी के निलंबन तक अपना आन्दोलन जारी रखेंगे. तबादला कोई सज़ा नहीं है. जिस अधिकारी ने किसानों का सर फोड़ने का निर्देश दिया है उसे हर हाल में निलंबित करना होगा.