जुबिली न्यूज डेस्क
अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने सोहवाल तहसील के धन्नीपुर गांव में मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ की जिस जमीन को आवंटित किया है, अब इसका निर्माण करने वाला ट्रस्ट आइआइसीएफ ने मस्जिद के नाम और डिजाइन को बदल दिया है.
मस्जिद ट्रस्ट के चीफ ट्रस्टी व यूपी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फास्की ने यह जानकारी फोन पर दी. उन्होने बताया कि मुंबई में मस्जिदों के 150 से ज्यादा उलेमाओं व मुस्लिम नेताओं ने मस्जिद के निर्माण को लेकर आने वाली आर्थिक अड़चनो पर चिंता जताई और इसके नाम व नक्शे में परिवर्तन करने का सुझाव दिया, जिसे पारित कर दिया गया है. अब मस्जिद का निर्माण हजरत मुहम्मद बिन अबदुल्लाह के नाम से करेगा
अयोध्या मंदिर मस्जिद केस में सुप्रीम कोर्ट ने अलग से मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन के आवंटन का आदेश दिया था, जो ढाई साल से पहले ही प्रशासन ने मस्जिद ट्रस्ट को यहां से 20 किमी दूर लखनऊ-अयोध्या रोड पर के पास स्थित गांव धन्नीपुर में आवंटित कर दी थी.
सहयोग के लिए नहीं दिख रहा था उत्साह
इसका नक्शा भी मस्जिद ट्रस्ट ने जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के आर्किटेक्ट से बनवाकर एडीए में अप्रूव करवाने के लिए जमा किया लेकिन एनओसी की अड़चनों के कारण वह नक्शा पास नही हो सका था. अब जब सारी अड़चने दूर हो गई हैं तो अयोध्या विकास प्राधिकरण नक्शा अप्रूव करने का टैक्स जमा करने के लिए मस्जिद ट्रस्ट के धन संग्रह नही हो पा रहा था.
जिसके बारे में मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन का कहना है कि मुंबई के बड़े व्यापारियों ने पहले आर्थिक मदद का आश्वासन जरूर दिया था, लेकिन प्राधिकरण की भारी भरकम धनराशि का इंतजाम नही हो पा रहा था. मुस्लिम उलेमाओं की मुंबई बैठक में इस बात को लेकर भी मंथन किया गया कि आखिर समाज के लोग आर्थिक तौर पर अयोध्या मस्जिद के लिए सहयोग करने के लिए उत्साह क्यों नही दिखा रहे हैं.
ये भी पढ़ें-PM नेतन्याहू का दावा-हमास ने इजरायली बच्चों की हत्या कर जलाए शव?
डिज़ाइन और नाम बदलने से धन की नहीं होगी कमी
जुफर फारूकी के मुताबिक इसके लिए इसके नक्शे में परिवर्तन कर गुंबद के मॉडल पर मस्जिद का निर्माण करने के साथ पैगबंर के नाम से इसका नाम रखने का सुझाव उलेमाओं ने दिया. जिस पर अंतिम निर्णय भी हो गया है. पहले मस्जिद का जो आर्किटेक्ट व डिजाइन बनी थी उसमें कोई गुंबद नहीं था. उन्होंने बताया कि परिवर्तन के बाद अब तय हुआ है कि इसे मोहम्मद साहब के नाम पर बड़ी मस्जिद का रूप दिया जाए, जिसके लिए धन की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी. इससे पहले मस्जिद, हॉस्पिटल, कम्युनिटी किचन व लाइब्रेरी और म्यूजियम आदि के प्राजेक्ट के साथ इसका 500 करोड़ का प्राजेक्ट तैयार किया गया था.