न्यूज डेस्क
अयोध्या केस में मुस्लिम पक्षकार के बाद अब हिंदू पक्ष की तरफ से भी पहली पुनर्विचार याचिका दाखिल होने जा रही है। इस याचिका को हिंदू महासभा दाखिल करेगी।
हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, आज वो पुनर्विचार याचिका दाखिल कर रहे हैं। जमीन पर फैसला हिंदुओं के हक में हुआ है और मुस्लिम पक्षकारों को 5 एकड़ जमीन देने के फैसले पर कोर्ट पुनर्विचार करें।
हिन्दू महासभा का कहना है कि विशेष पीठ ने अपने फैसले में माना है कि विवादित जमीन के अंदरूनी हिस्से और बाहरी हिस्से पर हिंदुओं का दावा मजबूत है। ऐसे में मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ ज़मीन मस्जिद के निर्माण के लिए नहीं देना चाहिए।
गौरतलब है कि 134 साल पुराने अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए। चीफ जस्टिस ने मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दिए जाने का फैसला सुनाया, जो कि विवादित जमीन की करीब दोगुना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।
चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस एसए बोबोडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने स्पष्ट किया कि मंदिर को अहम स्थान पर ही बनाया जाए। रामलला विराजमान को दी गई विवादित जमीन का स्वामित्व केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्षकारों ने पांच नई पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं। वरिष्ठ वकील राजीव धवन और जफरयाब जिलानी के निर्देश पर तैयार पुनर्विचार याचिकाओं को वकील एमआर शमशाद ने दायर किया। इसमें कहा गया है कि संविधान पीठ का 9 नवंबर का फैसला ढांचा ढहाने और मस्जिद में अवैध रूप से मूर्ति रखने वालों के गैर-कानूनी काम को सही ठहराने जैसा लगता है।
सुप्रीम कोर्ट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में हाजी महबूब, मिसबाहुद्दीन, हसबुल्ला, पीस पार्टी और रिजवान अहमद ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने की 27वीं बरसी पर दायर इन याचिकओं के साथ पुनर्विचार याचिकाओं की कुल संख्या नौ हो गईं है।