न्यूज डेस्क
सन्यासी हठी होता है। उसके हठ के सामने कोई नहीं टिकता। उसने जो ठान लिया उसे हासिल कर ही लेता है। ऐसा ही एक सन्यासी बनारस की गलियों में घूूम रहा है। उसने ठान लिया है कि प्रधानमंत्री मोदी को इस चुनाव में हराना है।
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है, फिर भी हठी सन्यासी को उम्मीद है कि 23 के बाद देश में जब दूसरी सरकार आयेगी तो 2014 के पहले मोदी के किए गए वादों को नई सरकार के सामने रखेेंगे और बनारस को उसका सम्मान लौटायेंगे।
ज्योतिष एवं शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मोदी के विरोध में सड़क पर उतर गए हैं।
यहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने 2014 के लोकसभा चुनाव में काशी में नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था। बहुत सारे साधु संतों के साथ मिलकर अपने सभी समर्थकों को उनकी जीत के लिए लगा दिया था लेकिन इस बार वे मोदी को हराने के लिए काम कर रहे हैं।
प्रत्याशी के पर्चा खारिज होने के बाद से उतरे सड़क पर
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ राम राज्य परिषद् का उम्मीदवार भी खड़ा किए थे जिसका जिसका नामांकन रद्द हो चुका है। उनका आरोप है कि उनके उम्मीदवार का पर्चा खारिज करने में जिला चुनाव अधिकारी ने गड़बड़ी की है। स्वामी जी का दावा है कि उस गड़बड़ी की न्यायिक समीक्षा भी होगी।
मोदी की वादाखिलाफी के बारे कर रहे हैं जागरूक
जिस दिन से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के प्रत्याशी का पर्चा खारिज हुआ है उस दिन से वह सड़क पर उतर आए हैं। वह सरकार की
सरकार की बदनीयती की बातें कर रहे हैं और नरेंद्र मोदी की वायदाखिलाफी के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वह अपने आश्रम में भी नहीं जा रहे हैं और चुनाव के दिन तक जायेंगें भी नहीं। दिन भर के काम के बाद जहां शाम हो जाती है , वहीं सो जाते हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शुभचिंतकों की कमी नहीं है। पूरे काशी में उनके शुभचिंतक हैं, किसी के भी आश्रम में वे रुक जाते हैं। अपने कार्यक्रम के सिलसिले में लोगों से लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं और सबको जागरूक कर रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह ने बीते दिनों स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मणिकर्णिका घाट स्थित आश्रम में उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने उनसे कई मुद्दों पर बात की थी।
मोदी के विरोध के सवाल पर उन्होंने कहा कि गंगा जी को निर्मल और अविरल करने के अपने मूल संकल्प से नरेंद्र मोदी भटक गए हैं। अब वे उन संतों से बातचीत भी नहीं करते जिन्होंने उनकी बात पर विश्वास करके उनका साथ दिया था। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ,योगी आदित्यनाथ भी इस मामले में कोई मदद नहीं कर रहे हैं।
योगी का पक्ष लेते हुए उन्होंने कहा कि उनको मालूम है कि योगी जी की कोई गलती नहीं है, वे मजबूर हैं। उनका कहना है कि मणिकर्णिका घाट से विश्वनाथ मंदिर तक का कारीडोर बनाने के लिए सरकार ने सैकड़ों मंदिरों को तोडा है, हजारों मूर्तियों को नष्ट किया है और उन मूर्तियों को मलबे का रूप दे दिया है।
उन्होंने कहा कि मंदिरों को तोड़ने के उनके दावे को सरकार सही नहीं मानती। सरकार का आरोप है कि वहां मौजूद बहुत ही पुराने मंदिरों को घेरकर लोगों ने अपने घर बना लिए थे और मदिरों को अपवित्र कर दिया था।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बीबीसी की एक फिल्म का जिक्र करते हुए कहा कि बीबीसी के पूर्व संवाददाता विजय राणा ने बनारस के बारे में एक फिल्म बनाई है जिसमें इस बात को रेखांकित किया गया है। उन्होंने इसके बारे में विस्तार से लिखा भी है।
स्वामी को उम्मीद है कि लोग मोदी को करेंगे बेदखल
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को उम्मीद है कि उनकी बात बनारस के लोग सुनेंगे और पीएम मोदी को काशी से बेदखल करेंगे। काशी से मोदी बेदखल होंगे या नहीं यह तो 23 मई को पता चलेगा लेकिन अभी बनारस की आबोहवा में मोदी के लिए कोई चुनौती नहीं दिखती।
थोड़ी-बहुत चुनौती सपा उम्मीदवार बीएसएसफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव से थी लेकिन अब वह भी मैदान में नहीं हैं। बाकी कांग्रेस के अजय राय कोई चुनौती पेश करने की स्थिति में नहीं है। अब देखना दिलचस्प होगा की बनारस में स्वामी का हठ जीतता है या मोदी।