- मजबूर प्रशासन, लाचार कुलपति
- दम तोड़ता अवध विश्वविद्यालय
ओम प्रकाश सिंह
अवध विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपना आवास खाली कर दिया है तथा 60 फीसदी से अधिक शिक्षकों ने अपने आवास खाली कर दिए हैं। इन लोगों को रहने की वैकल्पिक सुविधा उपलब्ध करा दी गई है, इसमें कई गैर आवासीय भवन भी हैं।
हवाई अड्डे की कार्य प्रगति को देखने से पता चलता की हवाई अड्डे का कार्य सिर्फ रनवे के निर्माण तक ही अभी सीमित है। ना तो हवाई अड्डे तक आने के लिए अप्रोच मार्ग निर्माण शुरू हो पाया है और ना ही जबरदस्ती अधिकृत किए गए गांव के लोगों का विस्थापन हुआ है।
गांव के लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि उनके मुआवजे की धनराशि उनके खातों में आ गई है किंतु अभी घर बनाने के लिए सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं कराई गई है।
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जब इन लोगों को जमीन मिल जायेगी तब वे अपने आवास का निर्माण करेंगे। उसके बाद ही उनको गांव खाली करना है। ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय की कौन सी मजबूरी है की एक नोटिस पर आवासों को तत्काल खाली करना पड़ रहा है।
हवाई अड्डे के कार्यालय का निर्माण तुरंत संभव नहीं हो सकता। गांव वालों को घर बनाने के लिए भी अभी कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। वहीं दूसरी और विश्वविद्यालय की शैक्षणिक आवासीय कालोनियों को खाली करने के लिए तत्काल अल्टीमेटम दे दिया गया। यह तथ्य समझ से परे है।
अवध विश्वविद्यालय की लगभग 25 एकड़ जमीन और 50 करोड़ से अधिक के भवनों का अधिग्रहण शासन ने बिना एक चवन्नी दिए हुए कर लिया है। आखिर इस कार्रवाई पर कुलपति और कुलसचिव सहित पूरा विश्वविद्यालय प्रशासन क्यों मौन है?
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वैसे इसके पीछे तमाम चर्चाएं चल रही हैं। कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ शासन कोई जांच ना करें इसलिए जो शासन कर रहा है उसे आंख मूंदकर मान लो।