- टेंट से लेकर भव्य मंदिर में जाने तक की रामलला की यात्रा का थ्री डी चित्रण होगा विशेष आकर्षण
- करोड़ों खर्च के बावजूद इस बार टी शर्ट कैप से मरहूम रहेंगे वालंटियर्स
- राम की पैड़ी पर लगेगें सोलह लाख दीये और जलेगा 45000 लीटर सरसों का तेल
अयोध्या। छोटी दीपावली के दिन राम की पैड़ी पर होने वाले दीपोत्सव की अद्भुत छटा देखने के लिए दुनिया भर में कौतूहल जाग उठा है। रिकार्ड बनाने के इंवेट में तब्दील दीपोत्सव के लिए इस बार चौदह लाख पचास हजार दीयों को जलाने का लक्ष्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रखा है।
इसे पूरा करने के लिए अवध विश्वविद्यालय जी तोड़ मेहनत कर रहा है। घाटों पर दीयों से सजने वाली रंगोलियों में इस बार प्रभु श्री राम की टेंट से लेकर भव्य राम मंदिर में जाने तक की यात्रा का थ्री डी चित्रण किया जाएगा। राम लला की कृपा हो जाए तो अलग बात है अन्यथा इस बार दीया जलाने वाले वालंटियर टी शर्ट और कैप से मरहूम रहेंगे।
राम नगरी के अवध विश्वविद्यालय सहित उत्तर प्रदेश शासन के तमाम विभागों ने छठवें दीपोत्सव के लिए कमर कस लिया है। दीयों को जलाने की जिम्मेदारी अवध विश्वविद्यालय के जिम्मे है। तेल, दीया, बाती, कपूर, बाल्टी, मग, मोमबत्ती, ठेला, आदमी, वॉलिंटियर्स के भोजन आदि के लिए विश्वविद्यालय ने शासन से दो करोड़ सत्तर लाख की मांग किया है जिसमें से अभी तक एक करोड़ रुपए विश्वविद्यालय को प्राप्त हुए हैं।
इस बार इस बजट में वॉलिंटियर्स के लिए बढ़ने वाला टीशर्ट और कैप शामिल नहीं है जिसकी लागत लगभग पचास लाख रुपए आती थी। यूं तो उत्तर प्रदेश शासन अयोध्या के विभिन्न मंदिरों को लेकर 21 लाख से ज्यादा दीयों को जलाने की व्यवस्था कर रहा है लेकिन मुख्य कार्यक्रम स्थल राम की पैड़ी पर सोलह लाख दीए सजाए जाएंगे। इन दियों के लिए तीन हजार टीन तेल, लगभग 17 लाख बाती की व्यवस्था विश्वविद्यालय कर रहा है।
दीपोत्सव का प्रमुख आकर्षण इस बार भी मुख्य मंच के सामने घाट संख्या दस पर होगा। अवध विश्वविद्यालय फाइन आर्ट के विद्यार्थी यहां इस बार रामलला के टेंट में रहने और भव्य मंदिर बनने तक की यात्रा का 3D चित्रण करेंगे। फाइन आर्ट समन्वयक डाक्टर विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस रंगोली को बनाने व घाट संख्या दस को सजाने में लगभग सत्तर हजार दीयों का इस्तेमाल किया जाएगा। ड्रोन कैमरे से ली गई तस्वीरें हर किसी को मोहित कर लेंगी।
रिकॉर्ड बनाने के लिए इन दीयों को पांच मिनट तक जलना होता है। प्रतिवर्ष दीपों की संख्या बढ़ने व राम की पैड़ी पर घाटों की संख्या और लंबाई सीमित होने के कारण इस बार चुनौती विकट है। राम की पैड़ी के अलावा इस बार सरयू नदी के कुछ घाट भी रिकॉर्ड की चुनौती पूरी करने के लिए इस्तेमाल किए जाएगें।
मुख्यमंत्री की चुनौती को पूरा करने के लिए दीप प्रज्वलन के नोडल अधिकारी डाक्टर अजय प्रताप सिंह अपनी टीम के साथ दिन रात मेहनत कर रहे हैं। कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार सिंह भी पल पल की मानिटरिंग कर रहे हैं। लगभग सोलह हजार वालंटियर्स दीप प्रज्वलन के लिए लगाए जा रहे हैंं।
इसके अलावा स्वंयसेवी संगठनों की संख्या को बढ़ाया गया है। नए वालंटियर्स के साथ अनुभवी वालंटियर्स को लगाया गया है। एनजीओ के वालंटियर्स लापरवाही ना करें, इसके लिए नोडल अधिकारी ने दिशा निर्देश जारी किया है। विश्वविद्यालय स्तर से दीपोत्सव के लिए कमेटियां गठित कर दी गई है और उन्हें उनके कार्यों से अवगत करा दिया गया है।