अयोध्या। उत्तर प्रदेश के बड़े राज्य विश्वविद्यालय में शुमार डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से उठी सदाएं न जाने कहां से टकराकर लौट आती हैं लेकिन उसे कुलपति नसीब नहीं होता। कहा जाता है कि जिसकी कोई नहीं सुनता उसकी अयोध्यापति सुनते हैं, लेकिन अयोध्या के ज्ञान-मंदिर की गुहार अनसुनी है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार दोहरा चुके हैं कि किसी कुलपति को दो विश्वविद्यालयों का चार्ज नहीं दिया जाएगा इसके बावजूद अवध विश्वविद्यालय का चार्ज सुदूर प्रयाग के एक कुलपति के जिम्मे है।
कुलाधिपति की ओर से कई बार कुलपति चयन के लिए पैनल गठित किया जा चुका है लेकिन कोई भी पैनल अपने परिणाम तक नहीं पहुंचा है। अब तो ऐसा लगने लगा है किया तो प्रदेश में योग्य प्राध्यापकों का टोटा हो गया है या फिर कुलाधिपति की अपेक्षाएं ऊंची हो गई हैं। अवध विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति का पद पिछले पांच माह से रिक्त है। इससे तमाम प्रशासनिक, शैक्षणिक कार्य बाधित हैं। कुलसचिव पर भी गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। पठन पाठन ठप्प है, आनलाइन गोष्ठी संगोष्ठी का दौर चल रहा है।
मालूम हो कि भ्रष्टाचार व अवैध नियुक्तियों के चलते पूर्व कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह से राजभवन ने इस्तीफा ले लिया था। इसके बाद राजभवन ने कुलपति के लिए चयन प्रक्रिया अपनाई। नियम के तहत कुलपति चयन समिति में विश्वविद्यालय द्वारा नामित एक सदस्य, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश व एक राज्यपाल/शासन नामित सदस्य होते हैं। इस समिति के लिए विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने पीयू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजकुमार को नामित किया था। साथ में उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश व हरियाणा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर त्यागी इसके सदस्य थे। कुलपति के लिए इस समिति ने जो अंतिम पांच नाम सुझाए थे उन पर कुलाधिपति की सहमति नहीं बन पाई। अवध विश्वविद्यालय ने जो नामिनी का नाम भेजा था,उनके माध्यम से विश्वविद्यालय के एक चर्चित शिक्षक भी उम्मीद में थे।
उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा बारह की उपधारा पांच के अनुसार यदि समिति द्वारा दिए गए नामों पर कोई भी विचार नहीं बन पाने की दशा में कुलाधिपति को अधिकार है कि वह तीन सदस्यीय एक नई समिति का गठन करके उनसे कुलपति के नाम प्रस्तावित करवाए। सूत्रों के अनुसार राजभवन ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक राय, मेरठ विश्वविद्यालय की कुलपति संगीता शुक्ला व यूजीसी के पूर्व चेयरमैन डीपी सिंह को कुलपति चयन समिति का सदस्य बनाकर नाम देने को कहा। इन लोगों ने पांच पांच नाम प्रस्तावित किए। किन्हीं कारणों से इस पर भी सहमति नहीं बन पाई।
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सूत्रों के अनुसार अब तीसरी चयन समिति का गठन किया गया हैं। जिसमें संगीता शुक्ला को फिर से सदस्य बनाया गया है, साथ में बरेली से के पी सिंह व भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति एन के सिंह को सदस्य मनोनीत किया गया है। अवध विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के लिए राजभवन में लगभग तीन सैकड़ा आवेदन पत्र आए थे, इन्हीं आवेदनों में से किसी एक के माथे ताज सजेगा। चयन में बिलंब होने से तमाम प्रकार की चर्चाएं उच्च शैक्षणिक जगत में टहल रही हैं।
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