ओम प्रकाश सिंह
पिछले दिनों अवध विश्वविद्यालय के नियमित व स्ववित्त पोषित विभागों में हुई सैकड़ो शिक्षकों की अवैध नियुक्तियों और दीपोत्सव के नाम पर वसूली के साथ विश्वविद्यालय में तमाम प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोपी कुलपति से राजभवन ने इस्तीफा ले लिया था।
पूरे प्रकरण पर कारवाई के लिए राजभवन ने कार्यवाहक कुलपति को पत्र जारी कर दिया..आनन फानन में बुलाई गई कार्यपरिषद ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने के लिए कुलपति को अधिकृत कर दिया।
कौन जांच अधिकारी बना, अभी विश्वविद्यालय ने सार्वजनिक नहीं किया है। क्या शिकायतकर्ताओं को भी साक्ष्य देने का अवसर मिलेगा?एक बात और नियुक्त शिक्षकों में कुछ सीधे सत्तारूढ़ दल के अनुषांगिक संगठन से जुड़े हैं तो कुछ के पारिवारिक लोग संगठन के पदाधिकारी हैं. ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या योगी सरकार कारवाई करेगी? विश्वविद्यालय में कुलसचिव शासन का प्रतिनिधि होता है उसकी जिम्मेदारी होती है कि वो कुलपति के गलत कार्यो से शासन से अवगत कराए लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बह रही है।
कुलसचिव उमानाथ चौहान पर शिक्षक संघ ने गंभीर आरोप लगाए हैं. सरकार ने कारवाई के बजाए परीक्षा नियंत्रक का अलग से प्रभार दे रखा है. सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा अनुभाग का एक सजातीय अधिकारी कुलसचिव को बचा रहा है. बचने बचाने के इस खेल में लक्ष्मी जी का काफी अहम रोल होने की चर्चा है।
क्या विश्वविद्यालय में हुई अवैध नियुक्तियों और भ्रष्टाचार पर कारवाई होगी? क्योकि बेईमानों को बचाने व अवैध नियुक्तियों को पोषित करने का खेल अवध विश्वविद्यालय में किस तरह चल रहा है यह आप खुद पढ़ें और समझें।
उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का आदेश पढ़िए-जिसमें स्पष्ट लिखा है कि अवध विश्वविद्यालय के भौतिक एवं इलेक्ट्रॉनिक विभाग में सह आचार्य पद के लिए दूषित, अयुक्तियुक्त, अतार्किक, अपारदर्शी, एंव अविश्वसनीय चयन प्रक्रिया अपनाई गई है, जिसे विधि की दृष्टि से से स्वीकार नहीं किया जा सकता।
चूंकि विश्वविद्यालय में कार्य परिषद ही नियोक्ता होती है तो राज्यपाल ने कार्य परिषद को अपने निर्णय के अनुपालन के लिए आदेशित किया।
राजभवन में उच्च कोटि के विधि सलाहकार और उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम होती है। राजभवन ऐसे निर्णय तमाम मंथन के बाद जारी करता है।
अब खेल देखिए अवध विश्वविद्यालय के पूर्व भ्रष्ट कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह पटेल ने राज्यपाल के आदेश को एक समिति बनाकर लटकाए रखा और अभी तक इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। चर्चा यह भी है कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के अध्यक्ष ने यह लिखा है कि आरोपी, कुलपति और कुलसचिव को सहयोग नहीं कर रहा है। सवाल यह है कि पूरे प्रकरण पर विधि व्यवस्था के आलोक में मंथन के बाद राजभवन के जारी आदेश में समिति कौन सा फैक्ट खोजेगी।. यह तो सीधे सीधे राजभवन के विधिसम्मत आदेश को विश्वविद्यालय की चुनौती है।