ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। रामनगरी के डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय ने मानों यूपी सरकार के आदेशों की अवहेलना करने की ही ठान लिया है।
गरीब छात्रों की जेब पर डाका डालकर प्रति वर्ष करोड़ों रुपए डकारा जा रहा है। ये अलग बात है कि सरकार की नीति इससे प्रभावित तो हो रही है लेकिन छुपे तौर पर उसे वित्तीय राहत भी मिल रही। शिकायत मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक हुई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार लोक कल्याण के लिए जनहित की कई योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं में एक योजना छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की है जिससे उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे लाखों छात्र लाभान्वित हो रहे हैं। शुल्क प्रतिपूर्ति की इस योजना का पूरा लाभ अवध विश्वविद्यालय के लाखों बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। हो सकता है कि प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी ये खेला हो रहा हो।
अवध विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों से लूट का ऐसा तरीका ईजाद किया है कि लुटने वाले को भान ही नहीं हो पाता है। इस लूट से विश्वविद्यालय को प्रतिवर्ष लगभग पचास करोड़ की आय हो रही है और सरकार के खजाने पर इतनी ही राशि की बचत, सो मामले कि शिकायत होने पर भी शासन अनसुनी के मोड में चला जाता है।
विश्वविद्यालय में प्रतिवर्ष लगभग चार लाख छात्र परीक्षा देते हैं। प्रतिवर्ष 2 सेमेस्टर में प्रति छात्र लगभग ₹2000 परीक्षा शुल्क सीधे छात्रों से वसूलता है जिस की प्रतिपूर्ति छात्रों को नहीं हो पा रही है।
पहले जब महाविद्यालय छात्रों से परीक्षा शुल्क लेकर विश्वविद्यालय को देता था तो महाविद्यालय छात्रों को उसकी रसीद भी देता था। जिससे छात्रों को समाज कल्याण विभाग द्वारा उसकी प्रतिपूर्ति हो जाती थी किंतु अब विश्वविद्यालय मनमानी करते हुए छात्रों से सीधे शुल्क वसूल रहा है।
जिसकी रसीद महाविद्यालय नहीं दे सकता क्योंकि छात्र उक्त राशि महाविद्यालय को न देकर विश्वविद्यालय को देता है। शुल्क प्रतिपूर्ति का फार्म भरते समय छात्र के पास एक रसीद ही उपलब्ध रहती है। दूसरे सेमेस्टर के समय के शुल्क की प्रतिपूर्ति नहीं हो पाती है।
प्रशासन की इस मनमानी के कारण अवध विश्वविद्यालय से संबद्ध सात जनपदों के लगभग सात सौ महाविद्यालयों के लाखों छात्र प्रदेश सरकार की लोक कल्याणकारी योजना का पूरा लाभ पाने से वंचित रह जाते हैं। योगीसरकार की यह योजना अवध विश्वविद्यालय में आंशिक रूप से ही सफल हो पा रही है।
इसके अलावा उच्च शिक्षा में पारदर्शिता के लिए ही सरकार ने परीक्षा शुल्क ₹800 प्रति सेमेस्टर निर्धारित कर रखा है फिर भी विश्वविद्यालय मनमाने ढंग से अंकपत्र के लिए ₹100 प्रति छात्र एवं डिग्री के लिए ₹500 प्रति छात्र अलग से क्यों वसूलता है?
क्या अंक पत्र एवं डिग्री, परीक्षा का अंग नहीं है? मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के लिए जागरूक लोगों ने पत्र भेजा है। जिससे छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का समग्र लाभ सभी छात्रों को मिल सके।