न्यूज डेस्क
खुद को किस्मत का धनी बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मोदी है तो मुमकिन है’ नारे के साथ दोबारा केंद्र की सत्ता में आसीन हो गए हैं और पिछले 50 दिनों में किए कार्यों का लेखाजोखा भी पेश कर दिया। इसे पेश करते हुए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जितना काम पिछले 50 सालों में नहीं हुआ उतना काम मोदी सरकार ने दोबार सत्ता में आने के बाद 50 दिनों में कर दिया।
हालांकि, सच्चाई इसके उलट है और मोदी सरकार के दौरान कई क्षेत्रों में नुकसान और भारी गिरावट देखी गई है। ऑटो सेक्टर की बात की जाए तो पिछले 10 महीने से बिक्री में लगातार गिरावट का सामना कर रही है। इससे कम्पोनेंट सेगमेंट पर तगड़ी चोट पड़ रही है। ऑटो पार्ट्स या कम्पोनेंट इंडस्ट्री तभी फल-फूल सकती है, जब वाहनों की बिक्री में लगातार इजाफा होता रहे। लेकिन वाहनों की बिक्री में लगातार गिरावट से ऑटो कंपनियों को अपने उत्पादन में 15 से 20 फीसदी की कटौती करनी पड़ रही है।
ऑटो सेक्टर के क्षेत्र में आई भारी गिरावट की गंभीरता को देखते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इस सेक्टर आई मंदी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर बरसी। प्रियंका ने ट्वीट करके कहा कि ऑटो सेक्टर के दस लाख लोगों की नौकरी पर खतरा है। यहां काम कर रहे लोगों को अपनी रोजी-रोटी के नए ठिकाने ढूंढने पड़ेंगे।
कांग्रेस महासचिव ने अपने ट्वीट में उस मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसमें बताया गया कि ऑटो सेक्टर में 10 लाख लोगों की नौकरी पर खतरा है। प्रियंका गांधी ने ऑटो सेक्टर पर चिंता जाहिर करते हुए ट्वीट किया, ‘ऑटो सेक्टर के दस लाख लोगों की नौकरी पर खतरा है। यहां काम कर रहे लोगों को अपनी रोजी-रोटी के नए ठिकाने ढूंढने पड़ेंगे. नष्ट होते रोजगार, कमजोर पड़ते व्यापार और अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने वाली नीतियों पर भाजपा सरकार की चुप्पी सबसे ज्यादा खतरनाक है.’
दरअसल, बीते दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री मंदी का शिकार हो गई है, जिसकी वजह से इस सेक्टर में करीब 10 लाख लोगों की नौकरियां जाने का खतरा पैदा हो गया है। द ऑटोमोटिव कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) ने कहा कि ऑटो सेक्टर की मंदी अगर लंबे समय तक जारी रही तो छंटनी के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा। ACMA ने इस मामले में सरकार से दखल देकर समूचे ऑटो सेक्टर के लिए 18 फीसदी की एक समान जीएसटी लगाने की मांग की है।
हालांकि, ऑटो सेक्टर को स्लोडाउन के साए बाहर निकालने के लिए सरकार राहत देने का मन बना रही है। सूत्रों की माने तो इस बारे में भारी उद्योग मंत्रालय और वित्त मंत्रालय में विचार-विमर्श का दौर शुरू हो गया है। ऑटो सेक्टर पर न केवल जीएसटी का भार कम किया जा सकता है, बल्कि कस्टम ड्यूटी में भी राहत दी जा सकती है। इसके अलावा बैंकों को ऑटो सेक्टर को ज्यादा फंडिंग मुहैया कराने को कहा जा सकता है।
एक सीनियर अधिकारी की माने तो सरकार ने ऑटो सेक्टर को स्लोडाउन से बाहर निकालने पर सलाह-मशविरा शुरू कर दिया है। ऑटो सेक्टर को फंडिंग की जरूरत है। इसके अलावा गाड़ियों की खरीदारी के लिए मार्केंट में मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत है।
बता दें कि पिछले एक साल से कार की सेल्स में गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे देश में कार डीलर शोरूम के बंद होने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसकी वजह से कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी की जा रही है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में पैसेंजर गाड़ियों के करीब 200 डीलर शोरूम बंद हो गए हैं। इसके वजह से करीब 25 हजार लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
ऑटो एक्सपर्ट का मानना है कि इसका एक अहम कारण है, बैंक से फंडिंग नहीं मिलना। मैन्युफैक्चरर्स की तरफ से डीलर को डिस्पैच और गाड़ियां लेने के लिए बैंक और एनबीएफसी से कोई क्रेडिट नहीं मुहैया कराया जा रहा है।