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एक तरफ देश में सियासत राम मंदिर, हिंदू-मुसलमान, बजरंगबली और अली के बीच उलझी हुई तो वहीं गुजरात में एक ऑटो ड्राइवर ने हाईकोर्ट में ‘नास्तिक’ का दर्जा पाने के लिए राज्य के हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
गुजरात के 35 साल के राजवीर उपाध्याय हिंदू धर्म छोड़ कर नास्तिक बनना चाहते हैं। इसके लिए वह करीब दो साल से प्रयास कर रहे हैं। अहमदाबाद के जिला कलेक्टर के पास भी वह गए लेकिन इस संबंध में कलेक्टर ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया था। इसके बाद राजवीर ने अदालत का रुख किया।
याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने गुजरात सरकार से पूछा है कि किसी नागरिक को नास्तिक का दर्जा क्यों नहीं दिया जा सकता। उसने अहमदाबाद के जिला कलेक्टर को भी इस बारे में नोटिस जारी किया है।
दो साल से कर रहे हैं प्रयास
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक राजवीर पिछले दो सालों से खुद का धार्मिक दर्जा नास्तिक करवाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जिला कलेक्टर राज्य के धर्म परिवर्तन-विरोधी कानून के तहत बार-बार उनका अनुरोध ठुकरा रहे थे। उनका कहना था, ‘कोई नागरिक एक धर्म से दूसरे धर्म में जा सकता है, लेकिन ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत धर्मनिरपेक्ष (या नास्तिक) के रूप में धर्म बदला जा सके। Ó
भेदभाव की वजह से लिया फैसला
राजवीर उपाध्याय का जन्म गरोडा ब्राह्मण परिवार में हुआ जो अनुसूचित जाति के तहत आता है। वह गुजरात में ऑटो चलाते हैं। राजवीर का दावा है कि इस कारण उन्हें सारी जिंदगी भेदभाव का सामना करना पड़ा है। इसी के चलते उन्होंने हिंदू धर्म छोडऩे का फैसला किया है।
राजवीर ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन के लिए राज्य सरकार को निर्देश दे जिससे कोई नागरिक अपना धर्म बदलने के लिए जिला कलेक्टर से अनुमति ले सके।
अपनी याचिका में राजवीर ने यह भी कहा है कि गुजरात का धर्म परिवर्तन-विरोधी कानून संविधान के उन प्रावधानों का उल्लंघन है जिनके मुताबिक नागरिकों को अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को स्वीकारने और पालने करने की आजादी है। हाईकोर्ट उनकी याचिका पर अब नौ जुलाई को सुनावई करेगा।