Wednesday - 2 April 2025 - 6:26 AM

Utkarsh Sinha

जिंदगी का लॉकडाउन अब भी जारी है

संदीप पाण्डेय केन्द्रीय सरकार 2.0 के सालाना जश्न को मिली छूट के बीच जिंदगी का लॉकडाउन अब भी जारी है। वैसे भी लॉकडाउन नाम के इलाज के दौरान मरीजों की संख्या घटने के बजाए विस्फोटक तरीके से बढ़ी। तो अब थोड़ा टेस्ट कर लिया जाए। 4 घंटे की मोहल्लत में …

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आत्महत्याओं को लेकर सतर्क होने का समय

डा. मनीष पाण्डेय मानव इतिहास के प्रत्येक समयकाल में आत्महत्याएं सामान्य रूप से घटित होती रही हैं, किन्तु हाल के दशक में इसमें आई तेजी चिंताजनक है। आत्महत्या की घटनाओं में वैसे तो विश्व स्तर पर वृद्धि देखी जा रही, किन्तु भारत की बात करें तो नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो …

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4 साल में आधी हो गई GDP, आर्थिक मोर्चे पर असफल रहे नरेंद्र मोदी ?

उत्कर्ष सिन्हा कुछ वक्त पहले जब भारत की अर्थव्ययवस्था के 5 ट्रिलियन होने का लक्ष्य घोषित किया गया था, तब ये खबर हफ्तों मीडिया की सुर्खियों में रही थी। सरकार के नुमाईनदे और समर्थक इस खबर को लगातार चर्चा में बनाए हुए थे। लेकिन अब जब आर्थिक मोर्चे से बुरी …

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संकटकाल में योगी सरकार का तीसरे यूटर्न की वजह बने प्रवासी मजदूर

जुबिली न्यूज डेस्क पहले संदेश फिर आदेश और उसके बाद अपने फैसलों से यूटर्न। बीते कुछ दिनों से  यूपी की योगी सरकार कुछ ऐसे ही चलते दिखाई दे रही है। ताजा मामला प्रवासी मजदूरों से जुड़ा हुआ है जिनके बारे में अभी कुछ दिनों पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने …

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त्रासदी की कविता : देवेन्द्र आर्य ने देखा “पैदल इंडिया”

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । देवेन्द्र आर्य की …

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क्या कोरोना युद्ध में असफल हो रही है सरकार ?

उत्कर्ष सिन्हा ये खबर लिखने के वक्त 64 दिन हो चुके हैं जब हमारे प्रधानमंत्री ने कोरोना से लड़ाई की शुरुआत की घोषणा जनता कर्फ्यू के साथ की थी । आज दो महीने 4 दिन बाद हालात और भी बदतर हो चुके हैं। शहरों में सिमटा कोरोना गावों तक पहुच …

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चंचल की डायरी : किस्सा सुनील दत्त के जुलूस का

चंचल दादा की जवानी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में बीती, उसके बाद दिल्ली में। समाजवाद का ककहरा और पेंटिंग साथ साथ चलते रहे। राजनीति और कला के बीच उन्होंने अपनी किस्सागोई की अलग पहचान बनाई है। फिलहाल जौनपुर के अपने गावं में बने समताघर में रह रहे हैं …

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क्या कोरोना बदल देगा राजनीति की दिशा ?

उत्कर्ष सिन्हा हर राजनीति का एक दौर होता है । हर संकट बदलाव लाता है । ये दो कथन एक दम सत्य है। इतिहास की कसौटी पर कसिएगा तो आप साफ देख पाएंगे कि राजनीति ने भी एक खास वक्त के बाद अपना केंद्र बदला है। उसके मुद्दे भी बदल …

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बादशाह को बचाने के लिए मजदूरों पर निशाना !

सुरेन्द्र दुबे कोरोना के मामले अचानक बढ़ना शुरू हो गए है।संक्रमितों की संख्या सवा लाख के पार पहुंच चुकी है और इससे मरने वालों की संख्या चार हजार के करीब पहुंच चुकी है।वैसे तो ये आंकड़े विश्व की तुलना में सुकून देने वाले है। हमें अपने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी …

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मालविका हरिओम की ताज़ा ग़ज़ल : ये कलियुग है यहाँ भूखा कभी रोटी नहीं पाता

आपदा काल में मालविका हरिओम लगातार मजबूरों के दर्द को गज़लों की शक्ल में सामने ला रही हैं । अपनी गज़लों के जरिए वे मानवीय संवेदना को झकझोर रही हैं। बतौर शायर मालविका ने इस वक्त के हालात पर काफी कुछ लिखा है । उनकी ये ताजा गजलें पढिए । …

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