नवेद शिकोह
भगवान- अल्लाह के इबादतघर/पूजा स्थल बंद हैं, ये बात बर्दाश्त है लेकिन ये हरगिज नहीं बर्दाश्त करेंगे कि भगवान और अल्लाह को दौड़ा-दौड़ा कर मारा जाये। इन्हें पत्थर मार कर घायल किया जाये। आपकी जिंदगी बचाने के लिये आपके दर तक आने वाले इन भगवानो़/ख़ुदाओं की ही जान लेने की कोशिश की जाये ! ये सब कितना अमानवीय है।
भगवान कहे जाने वाले डाक्टर अपनी जान पर खेल कर कोरोना वायरस से आपकी जान बचाने के लिए आपके घरों तक पंहुच रहे हैं। और आप धरती के इन भगवानों का अपमान कर रहे हैं। आखिर आप हो कौन ! हिंदू हो या मुसलमान ! ये पूछना या जानना भी सबसे बड़ा गुनाह है। क्योंकि जो चिकित्सकों पर हमला करे वो अधर्मी ही होगा।
उसका एक ही धर्म होगा- अज्ञानता, जेहालत, नासमझी और अमानवीयता। ऐसे जाहिल सिर्फ दाढ़ी और टोपी वाले अल्लाह वाले ही नहीं हैं, तिलक और भगवे वाले राम भक्त भी हैं। लेकिन सच तो ये है कि ना ये मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम के आचरण, व्यवहार, शिक्षा, संस्कार,आदर्श और सिद्धांतों से वाकिफ हैं और ना अल्लाह की हिदायतों पर अमल करते हैं।
ये इत्तेफाक़ है कि मुरादाबाद में डाक्टर पर हमले की तस्वीरे हमारे तक ज्यादा पंहुच गयीं और इंदौर मेरठ की ऐसी ही घटनाओं की तस्वीरें इतनी जगजाहिर नहीं हो रहीं।
इस संकट के दौर में ऐसी घटनायें कैसे खत्म की जायें। ये जब तक खत्म नहीं होंगी जब तक हम इस बात पर ग़ौर करते रहेंगे कि किस धर्म और जाति के लोगों ने किस घटना को अंजाम दिया। हांलाकि सच ये है कि डाक्टरों पर हमला करने वाले जाहिल हर धर्म- समुदाय के लोग हैं। ये क्यों ऐसी अमानवीय हरकतें कर रहे है आईये ये जानने की कोशिश करें –
लाइलाज कोविड 19 उर्फ कोरोना से बचने की विधि में कोरेनटाइन बचाव का महत्त्वपूर्ण हथियार है।भारत की एक सौ पैतीस करोड़ की जनता में कितने लोग कोरेनटाइन को समझते हैं। कोरेनटाइन क्या हैं ! क्यों हैं, कैसे और किस लिए इस मेडिकल विधि को अमल मे लाया जाता है।
किसी को कोरेनटाइन करने का उद्देश्य उसकी स्वास्थ्य रक्षा है। कोरोना वायरस से जिन्दगी बचाने के लिए कोरेनटाइन किया जाता है, नाकि परेशान करने के लिए।
देश की एक सौ पैतीस करोड़ जनता में सभी ये बातें नहीं जानते। करोड़ों ना समझ और अज्ञानियों को ये गलतफहमी है कि जिसके घर में कोई इस मर्ज से मर जाता है तो उसे कहीं बंदिशों में कैद कर दिया जाता है। नासमझ जनता को इस गलत धारणा से निकालने के लिए जनप्रतिनिधियों, समाज सेवियों, सिविल डिफेंस कार्यकर्ताओं, बुद्धीजीवियों, धर्मगुरुओं और मीडिया को आगे आना होगा।
लेकिन ये महत्तवपूर्ण जिम्मेदारी कम ही लोग निभा रहे हैं। जनप्रतिनिधि और धार्मिक नेता निष्क्रिय हो गये है। और मीडिया इस कठिन समय मे भी गंभीर नहीं दिख रही है। कुछ दिन पहले कोरिनटाइन लोगों के बारे में जो खबरें चलायीं थी वो सब पुलिस ने गलत साबित करके मीडिया की विश्वसनीयता पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।
अब महसूस कीजिए कि जानवरनुमा लोगों द्वारा स्वास्थकर्मियों पर अमानवीय हमलों का जिम्मेदार कौन-कौन है! आपको ये बात जरुर समझनी होगी कि यदि आप जेहालत को समझ कर उसे सुधारने के बजाय जेहालत को नफरत की खेती में इस्तेमाल करते हैं तो आपकी नफरत कोरोना से ज्यादा खतरनाक है।
लोग अभी भी नहीं सुधर रहे हैं। यदि इतने कठिन वक्त में भी अज्ञानता के अंधेरों को साम्प्रदायिक माहौल को हवा दी जाये तो मान लीजिए कि ऐसे लोग ख़ुद एक वायरस हैं। इस तरह की बेवकूफाना सोच में तैरती नफरत कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है। ऐसे लोग ही देश की बर्बादी का सबब बनोगे। ये देश का घुन हो, दीमक हैं और कोविड 19 से बद्तर हैं।
हिंदू-मुसलमान, ब्राहमण-क्षत्रिय, पिछड़े-सवर्ण, शिया-सुन्नी, देवबंदी-बरेलवी, मोदी-राहुल, योगी-अखिलेश… ऐसी प्रतिद्वंदता फिलहाल छोड़ दीजिए। और मिलजुल कर कोरोना की तबाही को हराने की कोशिश कीजिए।
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कोरेनटाइन को सजा समझने वाले किसी एक धर्म के नहीं हैं। अज्ञानता और नासमझी इनका धर्म है। और ऐसे लोग हर धर्म में शामिल हैं। स्वास्थकर्मियों पर हमला करने वाले कुछ जाहिल़ो का वीडियो अच्छा शूट हो गया और कुछ घटनाओं का क्लियर वीडिर नहीं बन सका। कुछ तस्वीरें वायरल हो गयीं और कुछ वीडियो वायरल नहीं हो सके। इसे नापना छोड़ दीजिए।
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बस कोशिश इस बात की कीजिए कि जिन्हें कोरेनटाइन होने की जरुरत है और वो कोरेनटाइन नहीं होना चाहते। स्वास्थकर्मियों का सहयोग नहीं करते। या कोरेनटाइन को जुल्म-ज्यादती या जबरदस्ती समझते हैं, उनकी गलतफहमी दूर कीजिए। ऐसे नासमझ लोगों को बताइये कि आपको कोरेनटाइन करने की मंशा आपकी जिन्दगी बचाने से जुड़ी है।
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आपका परिवार, खानदान, कुनबा और आपके समुदाय की रक्षा के लिए डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ अपनी जान पर खेलकर आपकी स्वास्थ्य रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)