जुबिली न्यूज़ डेस्क
दुनियाभर में कोरोना जैसी महामारी ने पहले ही आतंक मचाया हुआ है। इस बीच एक और मुसीबत धरती के बहुत करीब से गुजरने वाली है। दरअसल धरती के बेहद करीब से एक एस्टेरॉयड गुजरने वाला है। इसको लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक डरे हुए है।
यह एस्टेरॉयड बस के आकार का है। इस पर वैज्ञानिकों द्वारा की गई गणना के अनुसार, आज यानी 24 सितंबर को अगले कुछ ही घंटों में ये एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरेगा।
दरअसल इस एस्टेरॉयड का नाम 2020 SW है। धरती के करीब से गुजरने की इसकी दूरी मात्र इतनी है जितनी हमारे चांद की भी दूरी नहीं हैं। धरती से चाँद की दूरी करीब 3.84 लाख किलोमीटर है जबकि ये एस्टेरॉयड धरती से मात्र 28,254 किलोमीटर दूरी निकलेगा।
इसका मतलब है कि यह एस्टेरॉयड इंसानों द्वारा छोड़े गए टीवी, मौसम और संचार सैटेलाइट्स की कक्षा से भी कम दूरी से निकलेगा। सैटेलाइट्स की कक्षा आमतौर पर 35,888 फीट की ऊंचाई पर होती है।
सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑबजेक्ट्स के वैज्ञानिक का अनुमान है कि यह एस्टेरॉयड 14 से लेकर 32 फीट तक हो सकता है। इसको एरिजोना स्थित माउंट लेमॉन ऑब्जरवेटरी ने पिछले हफ्ते ही खोजा गया था। धरती के बगल से गुजरने पर इसकी गति 27,900 किलोमीटर प्रति घंटा यानी 7.75 किलोमीटर प्रति सेकेंड होगी। ये आज शाम यानी 4.48 बजे धरती के बगल से गुजरेगा।
372 दिन में लगाता है सूरज का एक चक्कर
एस्टेरॉयड 2020 SW भी धरती की तरह ही सूरज के चारों ओर चक्कर लगाता है। धरती 365 दिन में सूरज का एक चक्कर लगाती है। जबकि एस्टेरॉयड 372 दिन में सूरज का एक चक्कर पूरा करता है। वैज्ञानिकों ने मानना है कि जब एस्टेरॉयड 2020 SW धरती के सबसे नजदीक से निकलेगा तब वह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के ऊपर होगा।
ग्रैविटी की चपेट में आने से हो सकता है भारी नुकसान
वहीं वैज्ञानिकों को इस बात का डर है कि कहीं यह धरती के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र यानी ग्रैविटी की चपेट में आ गया तो यह भारी नुकसान पहुंचा सकता है। अगर यह समुद्र में गिरा तो तेज सुनामी ला सकता है, और किसी जमीनी पर गिरा तो बड़ा गड्ढा कर देगा या फिर बड़े इलाके को जला देगा। क्योंकि धरती के वायुमंडल में आते ही ये घर्षण से जलने लगेगा।
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पाइसेस द फिश नक्षत्र की ओर जा रहा
इस एस्टेरॉयड को आप नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं। इसको देखने के लिए आपके पास कम से कम 6 से 8 इंच की डायमीटर वाला टेलीस्कोप चाहिए। यह एस्टेरॉयड 2020 SW पेगासस द फ्लाइंग हॉर्स नक्षत्र से आया है। अब यह पाइसेस द फिश नक्षत्र की ओर जा रहा है।
जिस समय वैज्ञानिकों ने इस एस्टेरॉयड 2020 SW को खोजा था तब इसकी चमक कम थी। लेकिन जैसे-जैसे यह धरती की ओर आगे बढ़ रहा है, इसकी चमक बढ़ती जा रही है। चांद की धरती से जितनी दूरी है एस्टेरॉयड 2020 SW उसका 7 फीसदी ही धरती से दूर रहेगा। इसलिए वैज्ञानिकों को इसके ग्रैविटी में आने का डर है।