जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। पांच राज्यों में चुनाव करीब आता जा रहा है मगर कोरोना संक्रमण प्रत्याशियों के पैरों में बेड़ियां जकड़ने को आमादा है. एक तरफ संक्रमण का खतरा है तो दूसरी तरफ मतदाताओं तक न पहुँच पाने पर मंडराने वाला हार का खतरा बहुत परेशान कर रहा है।
इससे पहले 15 जनवरी को स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र चुनाव आयोग से फिजीकल रैलियों पर लगाई रोक को और बढ़ाने की सिफारिश की ।
यह भी पढ़ें : एक ही मुद्दे पर छह थानों में एसडीएम ने दर्ज कराया सपा नेता के खिलाफ मुकदमा
यह भी पढ़ें : योगी अयोध्या से लड़ें या मथुरा से उनके मुकाबले खड़ी होगी शिवसेना
अब एक बार फिर चुनाव आयोग ने फिजिकल रैलियों पर प्रतिबंध बढ़ाने का फैसला किया है।वहीं, चुनाव आयोग ने डोर टू डोर कैंपेन के लिए 10 लोगों की इजाजत दे दी गई है। पहले डोर टू डोर कैंपेन 5 लोग ही कर सकते थे।
यह भी पढ़ें : नहीं रहा पत्रकारिता का कमाल
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : … क्योंकि चाणक्य को पता था शिखा का सम्मान
हालांकि कुछ छूट भी दी गई है। चुनाव आयोग के मुताबिक फेज एक और दो मतदान वाले इलाकों में पहली फरवरी से छोटी जनसभा करने की भी छूट दे दी गई है। ‘
इसके आलावा वीडियो वैन के जरिए डिजिटल प्रचार के लिए वैन को तय खुले स्थानों पर खड़े करने को राजी हे गया है। इसके साथ ही अब प्रत्याशी ओपन स्पेस में पब्लिक मीटिंग कर सकते हैं लेकिन इसमें शर्त यह है कि मीटिंग सिर्फ 500 लोग या फिर किसी भी जगह के 50 फीसदी कैपेसिटी के तहत की जायेगी।
इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना प्रोटोकॉल्स का पूरा ख्याल रखना होगा। चुनाव आयोग ने ये भी बताया है कि कि 28 जनवरी से पहले चरण के उम्मीदवार कुछ पाबंदियों के साथ अपना प्रचार कर पाएंगे, वहीं 1 फरवरी से दूसरे चरण के उम्मीदवार भी अपना प्रचार शुरू कर सकते हैं।
बता दे कि इससे पहले केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव का कहना था कि ओमिक्रान कोरोना और डेल्टा वेरिएंट जितना खतरनाक नहीं है लेकिन इसके बढ़ने की रफ़्तार काफी तेज़ है। चुनाव आयोग ने पाँचों राज्यों के मुख्य सचिवों से यह स्पष्ट कर दिया था कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोविड प्रोटोकाल को बहुत सख्ती के साथ पालन कराया जाए।